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फिलहाल राज्य में पंचायत प्रतिनिधियों के प्रशिक्षण के लिए दो संस्थान संचालित हो रहे हैं. रांची स्थिति सीटीआइ (सेंट्रल ट्रेनिंग इंस्टीटय़ूट) और देवघर के जसीडीह स्थित पीटीआइ (पंचायत ट्रेनिंग इंस्टीटय़ूट). रांची स्थित सीटीआइ फिलहाल सर्ड (स्टेट इंस्टीटय़ूट ऑफ रूरल डेवलपमेंट) के परिसर में एक गैराजनुमा वर्कशॉप में संचालित हो
रहा है.
प्रशिक्षण के लिए इसे अलग से एक हॉस्टल उपलब्ध कराया गया है. वर्कशॉप में इसके कर्मचारी बैठते हैं, मगर उसकी हालत काफी बुरी है. उसमें बना सीलिंग उखड़ गया है और कभी भी गिर सकता है. इस संस्थान के पास अपना परिसर है, जिसे 2010 में केंद्रीय विवि को दो साल के लिए दे दिया गया है, हालांकि उसे तभी खाली कराया जा सकता है जब विवि का अपना भवन तैयार हो जाये, इसमें कम से कम दो साल का समय तो लगना ही है. ब्रांबे स्थित इस परिसर में छह हॉस्टल हैं जिसमें 250 लोगों के रहने की व्यवस्था है. एक सेंट्रली एसी ऑडिटोरियम है जिसमें 500 लोग बैठ सकते हैं. छह लक्चर हॉल हैं, आठ कमरों वाला एक गेस्ट हाउस है. यह परिसर 54 एकड़ में फैला है. इतने बेहतर संसाधन के बावजूद यह संस्थान फिलहाल लगभग सड़क पर है.
देवघर स्थित पंचायत प्रशिक्षण संस्थान की स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर है. यहां प्रशिक्षण हॉल, कार्यालय भवन, प्रशासनिक भवन, बड़ा ऑडिटोरियम, छात्रवास, वीआइपी छात्रवास, स्टॉफ क्वार्टर आदि है. मगर इसे प्रशिक्षण का काम ही नहीं दिया जाता है. इस संस्थान को अब तक दो सौ से भी कम पंचायत प्रतिनिधियों को प्रशिक्षित करने का काम दिया गया है. फिलहाल इसका कैचमेंट एरिया काफी बड़ा है. संताल परगना और कोयलांचल के दस जिले का क्षेत्र इसके अंदर आता है, जिसमें देवघर, दुमका, गोड्डा, पाकुड़, साहिबगंज, जामताड़ा, बोकारो, धनबाद, कोडरमा और गिरिडीह जिले आते हैं. यहां प्राचार्य समेत दो व्याख्याता, तीन प्रखंड पंचायतीराज पदाधिकारी, एक चिकित्सक, दो क्लर्क, एक चतुर्थवर्गीय स्टाफ, दो ग्राम रक्षा दल के कर्मी का पद रिक्त है
यूं चला पंचायत प्रतिनिधियों का प्रशिक्षण
यूएनडीपी के अधिकारी विनय दुबे के अनुसार यह पंचायत प्रशिक्षण का पहला चरण एक अगस्त 2011 से 15 फरवरी 2012 तक चलाया जा रहा है. इसके लिए 27 एजेंसियों को सहयोग के लिए चुना गया है. जिनमें से कुछ सरकारी और कुछ गैर सरकारी संस्थाएं हैं. इन संस्थानों का चयन आवेदन करने वाली 120 संस्थाओं के बीच से किया गया. फिर इन्हें प्रशिक्षण देकर प्रत्येक एजेंसी को 2 जिले से लेकर 3 ब्लॉक तक की जिम्मेदारी सौंपी गयी.
दुबे बताते हैं कि इसके लिए इन एजेंसियों के 180 मास्टर ट्रेनरों को एटीआइ (एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रेनिंग इंस्टीटय़ूट) में प्रशिक्षण दिया गया. फिर इन मास्टर ट्रेनरों ने अपनी एजेंसियों के अन्य ट्रेनरों को प्रशिक्षित किया. प्रशिक्षण का कार्यक्रम ब्लॉक स्तर पर चलाया गया. एक ब्लॉक के प्रतिनिधियों को प्रशिक्षण देने की जिम्मेदारी तीन ट्रेनरों की थी. रांची स्थित सीटीआइ के जिम्मे रांची के छह ब्लॉक और पंचायत समिति सदस्यों के प्रशिक्षण का काम था,
जबकि देवघर स्थित पीटीआइ के हिस्से पूरे देवघर जिले के प्रशिक्षण की जिम्मेदारी थी.
मुखिया और पंचों के प्रशिक्षण की व्यवस्था जहां ब्लॉक मुख्यालयों में थी वहीं उससे ऊपर के प्रतिनिधियों को जिला मुख्यालय में आवासीय ट्रेनिंग दी गयी. ब्लॉक स्तर पर चले प्रशिक्षण अभियान का बजट 350 रुपये प्रति प्रतिनिधि प्रति दिन रखा गया है.
इस तरह राज्य के ऐसे लगभग 49 हजार प्रतिनिधियों को तीन दिन के प्रशिक्षण का बजट लगभग 5 करोड़ साढ़े 14 लाख रुपये है, जिसमें 100 रुपये प्रति प्रतिनिधि प्रति दिन सिटिंग अलाउंस(बैठने का भत्ता) है और 30 रुपये आने-जाने का किराया. जिला स्तर पर हुई आवासीय ट्रेनिंग का बजट 680 रुपये प्रति प्रतिनिधि प्रति दिन है. यानी 4423 प्रतिनिधियों के हिसाब से तीन दिन का नब्बे लाख 22 हजार नौ सौ बीस रुपये
कहानी सीटीआइ और पीटीआइ की
फिलहाल राज्य में पंचायत प्रतिनिधियों के प्रशिक्षण के लिए दो संस्थान संचालित हो रहे हैं. रांची स्थिति सीटीआइ (सेंट्रल ट्रेनिंग इंस्टीटय़ूट) और देवघर के जसीडीह स्थित पीटीआइ (पंचायत ट्रेनिंग इंस्टीटय़ूट). रांची स्थित सीटीआइ फिलहाल सर्ड (स्टेट इंस्टीटय़ूट ऑफ रूरल डेवलपमेंट) के परिसर में एक गैराजनुमा वर्कशॉप में संचालित होरहा है.

देवघर स्थित पंचायत प्रशिक्षण संस्थान की स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर है. यहां प्रशिक्षण हॉल, कार्यालय भवन, प्रशासनिक भवन, बड़ा ऑडिटोरियम, छात्रवास, वीआइपी छात्रवास, स्टॉफ क्वार्टर आदि है. मगर इसे प्रशिक्षण का काम ही नहीं दिया जाता है. इस संस्थान को अब तक दो सौ से भी कम पंचायत प्रतिनिधियों को प्रशिक्षित करने का काम दिया गया है. फिलहाल इसका कैचमेंट एरिया काफी बड़ा है. संताल परगना और कोयलांचल के दस जिले का क्षेत्र इसके अंदर आता है, जिसमें देवघर, दुमका, गोड्डा, पाकुड़, साहिबगंज, जामताड़ा, बोकारो, धनबाद, कोडरमा और गिरिडीह जिले आते हैं. यहां प्राचार्य समेत दो व्याख्याता, तीन प्रखंड पंचायतीराज पदाधिकारी, एक चिकित्सक, दो क्लर्क, एक चतुर्थवर्गीय स्टाफ, दो ग्राम रक्षा दल के कर्मी का पद रिक्त है
यूं चला पंचायत प्रतिनिधियों का प्रशिक्षण
यूएनडीपी के अधिकारी विनय दुबे के अनुसार यह पंचायत प्रशिक्षण का पहला चरण एक अगस्त 2011 से 15 फरवरी 2012 तक चलाया जा रहा है. इसके लिए 27 एजेंसियों को सहयोग के लिए चुना गया है. जिनमें से कुछ सरकारी और कुछ गैर सरकारी संस्थाएं हैं. इन संस्थानों का चयन आवेदन करने वाली 120 संस्थाओं के बीच से किया गया. फिर इन्हें प्रशिक्षण देकर प्रत्येक एजेंसी को 2 जिले से लेकर 3 ब्लॉक तक की जिम्मेदारी सौंपी गयी.
दुबे बताते हैं कि इसके लिए इन एजेंसियों के 180 मास्टर ट्रेनरों को एटीआइ (एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रेनिंग इंस्टीटय़ूट) में प्रशिक्षण दिया गया. फिर इन मास्टर ट्रेनरों ने अपनी एजेंसियों के अन्य ट्रेनरों को प्रशिक्षित किया. प्रशिक्षण का कार्यक्रम ब्लॉक स्तर पर चलाया गया. एक ब्लॉक के प्रतिनिधियों को प्रशिक्षण देने की जिम्मेदारी तीन ट्रेनरों की थी. रांची स्थित सीटीआइ के जिम्मे रांची के छह ब्लॉक और पंचायत समिति सदस्यों के प्रशिक्षण का काम था,
जबकि देवघर स्थित पीटीआइ के हिस्से पूरे देवघर जिले के प्रशिक्षण की जिम्मेदारी थी.
मुखिया और पंचों के प्रशिक्षण की व्यवस्था जहां ब्लॉक मुख्यालयों में थी वहीं उससे ऊपर के प्रतिनिधियों को जिला मुख्यालय में आवासीय ट्रेनिंग दी गयी. ब्लॉक स्तर पर चले प्रशिक्षण अभियान का बजट 350 रुपये प्रति प्रतिनिधि प्रति दिन रखा गया है.
इस तरह राज्य के ऐसे लगभग 49 हजार प्रतिनिधियों को तीन दिन के प्रशिक्षण का बजट लगभग 5 करोड़ साढ़े 14 लाख रुपये है, जिसमें 100 रुपये प्रति प्रतिनिधि प्रति दिन सिटिंग अलाउंस(बैठने का भत्ता) है और 30 रुपये आने-जाने का किराया. जिला स्तर पर हुई आवासीय ट्रेनिंग का बजट 680 रुपये प्रति प्रतिनिधि प्रति दिन है. यानी 4423 प्रतिनिधियों के हिसाब से तीन दिन का नब्बे लाख 22 हजार नौ सौ बीस रुपये
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