राजकुमार कुशवाहा
राष्ट्रीय महिला आयोग की पूर्व सदस्य
मंजू हेम्ब्रम का गांव आज भी बदहाल है. साहिबगंज जिले के तालझारी प्रखंड अंतर्गत बाकुड़ी पंचायत
का मांझी टोला उनका पैतृक गांव है. पंचायत की आबादी लगभग सात हजार है. पंचायत में मांझी टोला से सटे कोचा
टोला, डोम टोला, फाटक टोला व मोहली टोला गांव हैं. मांझी टोला में 150 की आबादी में लगभग 60 महिलाएं हैं, जिनमें पांच से सात महिलाएं ही मैट्रिक पास हैं. गांव में सबसे शिक्षित व संपन्न परिवार मंजू हेम्ब्रम का ही
है.
छह दशक
से राजनीति
में सक्रिय
मंजू का परिवार पिछले छह दशक से राजनीति में सक्रिय हैं. मंजू हेम्ब्रम के पिता सेंत हेम्ब्रम वर्ष 1980 व 1984 में लगातार दो बार कांग्रेस पार्टी
से राजमहल संसदीय क्षेत्र के सांसद रहे, जबकि
चाचा
जॉन हेम्ब्रम
1950 में बाकुड़ी
पंचायत के मुखिया, उप प्रमुख, प्रमुख और बाद में दो बार बोरियो विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गये. वर्तमान में जॉन हेम्ब्रम के
छोटे
पुत्र नीरज हेम्ब्रम कांग्रेस के जिला उपाध्यक्ष सह जिला परिषद सदस्य
है.
न सड़क, न बिजली न पानी
मंजू हेम्ब्रम का गांव सड़क , बिजली, पानी जैसी मूलभूत सुविधा से आज भी वंचित
है. गांव की सड़कें खस्ताहाल हैं. बिजली तो पहुंची है मगर अधिकांश लोग
इसके लाभ से वंचित हैं. वहीं पेयजल की भी कोई सुविधा नहीं है. कई चापाकल खराब पड़े हैं. पूरे पंचायत में एक उच्च विद्यालय भूषण हेम्ब्रम जनजातीय प्रोजेक्ट उच्च विद्यालय
सीतापहाड़ बाकुड़ी के अलावा उत्क्रमित मध्य विद्यालय मांझी
टोला, मवि बाकुड़ी, उमवि कोचा टोला सहित अन्य स्थानों पर
विद्यालय है. सभी विद्यालयों की हालत खस्ता है. ग्रामीणों के मुताबिक मांझी टोला गांव स्थित उमवि गांव के ही पारा शिक्षक संतोष प्रमाणिक के भरोसे चल रहा है. यहां के
प्रधानाध्यापक सुनील ठाकुर हैं. जो साहिबगंज में ही रहते हैं, कभी-कभी विद्यालय में नजर आते हैं. पूरे पंचायत में 21 चापाकल हैं जिसमें 10-12 ही चालू हालत में है.
तीन ही लोग सरकारी नौकरी में
मांझी टोला के मात्र तीन ही लोग सरकारी सेवा में हैं, जिसमें जॉन हेम्ब्रम के पुत्र सरोज हेम्ब्रम की पत्नी रोजबेल मध्य विद्यालय बाकुड़ी
की सहायक शिक्षिका के पद पर कार्यरत है. इसी परिवार की मीना सोरेन पारा शिक्षिका
हैं. इसके
अलावा
गांव के संतोष प्रमाणिक पारा शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं. गांव के
लोग मुख्य
रूप से मजदूरी पर आश्रित हैं. दिन में गांव के लोग बाकुड़ी मुख्य सड़क किनारे स्थित क्रशरों में काम करते हैं.
महिलाओं कोे नहीं मिल रहा सरकारी योजना
का लाभ
गांव की महिलाओं कोे अब तक सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है. गांव में एक आगनबाड़ी केंद्र है जो जर्जर भवन में चलता है. केंद्र में प्रतिदिन 3 से 4 की संख्या में बच्चे आते हैं. गांव की गर्भवती, धातृ व किशोरी महिलाओं कोे पोषाहार
नहीं मिल पाता है. इसके अलावा कई महिलाओं कोे अब भी विधवा पेंशन, वृद्धा पेंशन आदि योजनाओं का लाभ नहीं
मिल पा रहा है.
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