बुधवार, 26 जून 2013

झॉलीवुड की झंकार

नागपुरी फिल्म जगत यानी झॉलीवुड. झॉलीवुड का इतिहास बहुत पुराना नहीं है. काफी कम समय में ही इस फिल्म इंडस्ट्री ने बाजार में अपनी जगह बना ली है. साथ ही अपनी कला के माध्यम से नागपुरी फिल्म जगत की अभिनेत्रियों ने भी खुद की खास पहचान बनाने में सफलता हासिल की है.

झारखंड में मुख्य रूप से तीन भाषाओं कुड़ुख, मुंडारी और साद्री भाषा में अलबम बनते हैं. हालांकि इंडस्ट्री के भीतर जिस रफ्तार से अलबम तैयार हो रहे हैं, वह रफ्तार नागपुरी फीचर फिल्मों की नहीं है. झारखंड में बन रहे अलबमों की नायिकाओं ने कहीं से कला का कोई विशेष प्रशिक्षण नहीं लिया है. बावजूद इसके वह अपनी मेहनत, संघर्ष के बलबूते यहां के दर्शकों का भरपूर मनोरंजन करने में सफल रही हैं और दर्शकों ने भी इन्हें वो सम्मान दिया है, जिसकी ये हकदार हैं. झॉलीवुड में काम कर रही अधिकतर नायिकाएं राज्य के प्रतिष्ठित कॉलेजों में अपनी पढ़ाई कर रही हैं या इन कॉलेजों से पढ़ाई पूरी कर नागपुरी फिल्म जगत में अपना कैरियर बना रही हैं. फिल्मी दुनिया की बुलंदियों को छूने के लिए कुछ ने अपना रूख मुंबई की ओर कर लिया, जबकि कुछ को अपनी संस्कृति के साथ जुड़कर काम करना पसंद है. नागपुरी सिने जगत की तारिकाओं से रू--रू कराती सुरंेद्र मोहन की रिपोर्ट :

पूजा
पिता : ॠषिकेश शर्मा
माता : सुमन देवी
शिक्षा : मैट्रिक -छोटानागपुर गर्ल्स हाईस्कूल
इंटरमीडिएट- रामलखन सिंह यादव कॉलेज, कोकर, रांची
कभी कोरस (कलाकारों का समूह) में काम करनेवाली पूजा की गिनती आज झॉलीवुड की बेहतरीन अभिनेत्रियों में की जाती है. पूजा कहती हैं कि झॉलीवुड में बन रहे नागपुरी फिल्म अलबमों में तकनीक में काफी मजबूती आयी है. लेकिन, भोजपुरी फिल्मों का बाजार जितना धनी है, नागपुरी फिल्मों को अभी वह मुकाम नहीं मिला है. शूटिंग के लिए यूज किये हुए ड्रेस मेटेरियल मेकअप के सामान दिये जाते हैं. अक्सर पुराने ही लोकेशन पर शूटिंग की जाती है. झॉलीवुड में काम करना पसंद आता है. यहां के लोग अच्छे हैं. हर काम में सभ्यता शालीनता होती है. मुझे सबका सहयोग मिला. नागपुरी फिल्म जगत में मैं विशेषकर कैमरामैन राजीव रंजन जी की आभारी हूं, जिन्होंने मुझे काफी सपोर्ट किया है.

कोमल
पिता : परमानंद सिंह
माता : रंजू देवी
शिक्षा : मैट्रिक - रामलखन सिंह यादव स्कूल, कोकर
ग्रेजुएशन - महेंद्र प्रसाद महिला महाविद्यायल, रांची
अभिनय नृत्य दोनों ही कला में माहिर अभिनेत्री कोमल कहती हैं कि झॉलीवुड में काम करना अच्छा लगता है. फिल्म इंडस्ट्री में सभी लोग अच्छे हैं. मैं ऐसा मानती हूं कि भोजपुरी फिल्मों के नायक-नायिकाओं से झॉलीवुड के कलाकार कहीं ज्यादा टैलेंटेड हैं. नागपुरी भाषा में बननेवाली फिल्मों और अलबमों में संस्कृति की झलक होती है. अश्लीलता नहीं होती. यहां मेकअप मैन की कमी है. हीरोइनें खुद ही अपना मेकअप करती हैं. अक्सर पुराने ही लोकशन पर फिल्मों को शूट किया जाता है. इसमें नयापन लाने की जरूरत है. नागपुरी फिल्मों की स्टोरी, स्क्रप्टि डॉयलॉग को और बेहतर होने चाहिए

मोनिका
पिता : जयदेव घोष
माता : पुतुल घोष
शिक्षा : मैट्रिक
मोनिका नागपुरी फिल्म जगह की अच्छी अदाकारों में गिनी जाती है. झॉलीवुड में काम कर बेहद खुश हैं. मोनिका इसलिए भी खुश हैं कि वह पहले की तुलना में झॉलीवुड में काफी बदलाव देख रही हैं. कहती हैं यहां बननेवाली फिल्में और अलबम हर मायने में अत्याधुनिक हुए हैं. कैमरा वर्क, डायरेक्शन आदि बिल्कुल ही अत्याधुनिक हुए हैं. अच्छे गाने लिखे जा रहे हैं.
झॉलीवुड का माहौल भी साफ-सुथरा है.

बॉबी वंदना तिर्की
पिता : विजय तिर्की
माता : ख्रीस्तीना तिर्की
शिक्षा : मैट्रिक -गोस्नर स्कूल, बहुबाजार
ग्रेजुएशन - मारवाड़ी कॉलेज, रांची (इतिहास ऑनर्स)
झॉलीवुड में काम करके अच्छा महसूस करती हूं. लगता है जैसे अपने लोगों के बीच हूं. यहां अपनापन है. नागपुरी फिल्मों में अपनी संस्कृति-अपनी भाषा झलकती है. बॉलीवुड या हॉलीवुड की फिल्मों में अश्लीलता परोसी जाती है. नागपुरी फिल्मों के गीत, संगीत और नृत्य में हर जगह हमारी संस्कृति नजर आती है. गानों में एक भाव छुपा होता है, जो हम अपने घर-परिवार के लोगों के साथ बैठकर देख सुन सकते हैं. पहले ठेठ नागपुरी भाषा में ही फिल्में बनती थीं, लेकिन अब ठेठ के साथ आधुनिकता मिक्स फिल्म अलबम बन रहे हैं.

वर्षा लकड़ा
पिता : बीएन महली लकड़ा
माता : सुशीला लकड़ा
शिक्षा : मैट्रिक-सेंट्रल स्कूल, डोरंडा
ग्रेजुएशन - मारवाड़ी कॉलेज, रांची (अंग्रेजी ऑनर्स)
झॉलीवुड में खास पहचान बना चुकी वर्षा कहती हैं कि मैं पहले की तुलना में आज नागपुरी सिने जगत को काफी समृद्ध देख रहीं हूं. अलबम अत्याधुनिक मशीनों के सहयोग से तैयार किये जा रहे हैं. म्यूजिक सिस्टम, कैमरा तकनीक आदि आधुनिक होने के कारण दर्शकों की गानों को सुनने देखने में रूचि बढ़ी है. झॉलीवुड का दायरा पहले सीमित था. लेकिन अब हर कुछ मॉर्डनाइज हो चुका है. कलाकार भी अब दार्जिलिंग, पुरी आदि जगहों की खूबसूरत वादियों में शूटिंग के लिए जाते हैं. हालांकि झारखंड में कई खूबसूरत प्राकृतिक दृश्य स्थल हैं, लेकिन अलबम में हर बार नयापन होना जरूरी है.

कंचन
पिता : अमरचंद रॉय
माता : वीणापाणी रॉय
शिक्षा : मैट्रिक- साकची गर्ल्स हाई स्कूल
ग्रेजुएशन - ग्रेजुएट कॉलेज, जमशेदपुर (अकाउंट ऑनर्स)
स्कूल के टेम पे आना गोरी डेम पे... फेम कंचन झॉलीवुड में काम कर बहुत ही खुश हैं. कंचन कहती हैं कि पहले नागपुरी फिल्म अलबम की ओर दर्शकों का कम ध्यान होता था, लेकिन अब इसमें बदलाव आया है. दर्शकों और श्रोताओं की संख्या बढ़ी है. इससे कलाकारों का मनोबल बढ़ता है. अब तो कई नये चेहरे भी देखने को मिल रहे हैं. लेकिन अभी पिˆार क्वालिटी और म्यूजिक में कमी है. इसे अत्याधुनिक करने की जरूरत है. स्क्रप्टि की क्वालिटी में भी बदलाव जरूरी है. अभी तक मैंने जिन लोगों के साथ काम किया है. सभी का व्यवहार अच्छा लगा. यही चाहती हूं कि अच्छे लोग, अच्छा काम टीमवर्क के साथ हो, तभी रिजल्ट भी अच्छा मिलेगा. मुझे पारिवारिक फिल्म करना पसंद है.




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