गुरुवार, 27 जून 2013

सामूहिक खेती से बंजर में लौटी हरियाली

राधेश सिंह राज
जहां दूसरे पंचायत प्रतिनिधि अधिकारों के लिये धरना-प्रदर्शन में जुटे हैं, वहीं मनोहरपुर प्रखंड के नंदपुर पंचायत की मुखिया खेती के जरिये अपना कमाल दिखा रही हैं. मात्र एक वोट से जीतकर आई तेज-तर्रार युवती सिन्नी बेक ने कृषि को प्राथिमिकता देते हुये नंदपुर के युवा वर्ग को इससे जोड़ने की कवायद शुरू की है. इस कार्य में उपमुखिया सहदेव सिंह का उन्हंे पर्याप्त सहयोग मिल रहा है.
दशकों से बंजर पड़ी 12 एकड़ जमीन को खेती के लायक बनाने के लिए उप मुखिया ने युवाओं का एक समूह बनाया. इस समूह में एक युवती और पांच युवक शामिल हुए. प्रत्येक सदस्य के नाम किसान क्रेडिट कार्ड के जरिये 25 हजार रुपये का ऋण स्वीकृत कराया गया. समूह ने पहली फसल में मात्र 50 हजार रुपये केनरा बैंक से निकालकर खेती शुरू की. मि˜ परीक्षण, कीटनाशक, खाद, उन्नत बीज, ही कोई सब्सिडी. विपरीत परिस्थितियों में भी पांच लोगों के समूह ने गांव के 8 मजदूरों को प्रतिदिन काम देकर पहली फसल तैयार की. सब्जी में फूलगोभी, बंदगोभी, मिर्च, टमाटर, मटर, साग इत्यादि उपजाये. बाजार में व्यापारियों के मार्फत इनके द्वारा उपजाई सब्जियों की टाटानगर, कोलकाता आदि स्थानों पर आपूर्ति की गयी. पहली फसल में सारे खर्च काटकर मूलधन से दुगना मुनाफा हुआ. अब इनके पास एक लाख की पूंजी हो गई है. दूसरी फसल में समूह के लोगों ने अपने घर के दैनिक खर्च को निकालकर सारी पूंजी खेती मे लगा दी है. समूह के मुखिया सहदेव सिंह के मुताबिक यह फसल तैयार होने के बाद बैंक का ऋण वापस कर अपनी पूंजी से खेती करने लगेंगे.
इनकी सफलता को देख कर गांव के अन्य युवकों ने अपना एक समूह तैयार किया है, वो भी गांव में अपनी 8 एकड़ भूमि पर बैंक से मदद लेकर खेती कर रहे हैं. गांव पंचायत में अब सभी का रुझान खेती की ओर होने लगा है.

लालबांध के संतोष की लखटकिया बगिया

अभिजित रक्षित
एक शिक्षित बेरोजगार युवक ने बिना किसी सरकारी मदद से खेतों को लहलहा दिया. आज उनके खेतो में हरे-भरे, पेड़-पौधे तरह-तरह के फूलों को देखा जा सकता है. महज एक बीघा जमीन में अमरूद की खेती से अच्छी खासी कमाई होती है. सहिबगंज जिला अंतर्गत राजमहल प्रखंड के 34 वर्षीय लालबांध निवासी संतोष कुमार राम 2001 में बीएसके कॉलेज बरहरवा से स्नातक (राजनीतिक शास्त्र से आनर्स) करने के बाद नौकरी के लिए भटकता रहा. वर्ष 2007 में वह पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिला अंतर्गत लालबाग अपने रिश्तेदार का यहां गया, वहां रिश्तेदारों की नर्सरी देख उनके मन में नर्सरी का काम सीखने का इच्छा प्रकट हुई. लालबाग में एक महीने रिश्तेदारों के यहां रहकर नर्सरी के संबंध में जानकारी हासिल किया. पिता शिव शंकर राम के पास 5 बीघा जमीन है. पिता द्वारा प्रोत्साहन दिये जाने के बाद एक जमीन में 5 हजार रुपये की पूंजी लगाकर नर्सरी का काम प्रांरभ किया. क्षेत्र में पौधों की मांग को
देखते हुए आज दो बीघा जमीन में नर्सरी बनाया है तथा एक बीघा जमीन में अमरूद का खेती करता है. धान गेंहू की खेती से प्रति वर्ष 5 बीघा जमीन में लगभग 15 हजार रुपये की फसल होती थी वहीं आज 3 बीघा जमीन में नर्सरी अमरूद की खेती से एक लाख रुपया तक कमा लेते हैं. पानी की सुविधा नहीं होने के कारण काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है. पानी के लिए उनके पास सिर्फ एक निजी कुआं है.

सिमडेगा में नशे के खिलाफ जंग

रविकांत साहू
सिमडेगा जिले के कुरडेग प्रखंड की महिलाएं एक आंदोलन के लिए उठ खड़ी हुई हैं. यह आंदोलन नशे के खिलाफ है, जिससे कई घर बरबाद हो गये. आंदोलन का मकसद है नशा मुक्त समाज. जहां हर परिवार अमन चैन जीवन गुजारे. जिला मुख्यालय से कुरडेग प्रखंड की दूरी लगभग 47 किलोमीटर है. आंदोलन की शुरूआत कुरडेग गांव से हुई है. अगुआ बनी महिला फेडरेशन की शांति कुजूर. टीम में 46 महिलाएं शामिल हैं. प्रखंड के हर गांव की महिला जान जोखिम में डाल आंदोलन को आगे बढ़ा रही हैं.
महिलाओं में युवा पीढ़ी को शराब से दूर रखने का जुनून है. वह खेतों में दौड़कर शराब लेकर भाग रहे व्यक्ति को पकड़ शराब को जमीन पर बहा देती हैं. शराब बेचनेवालों को महिलाओं के विरोध का सामना करना होता है. नशे के सौदागरों से वह हर मुकाबले के लिए तैयार हैं. नौबत मार पीट तक पहुंच जाती है. लगभग यही नजारा अन्य गांवों का भी है. लगभग 150 गांवों में नशा मुक्ति अभियान चल रहा है. अबतक 10 हजार लीटर से भी ज्यादा शराब नष्ट की जा चुकी है. कुरडेग से चली बदलाव की इस बयार को अब शहरी क्षेत्र के महिलाओं ने भी थाम लिया है. अब वे लोग भी अपने क्षेत्र को नशामुक्त करने का संकल्प ले चुकी हैं. वार्ड आयुक्त  स्कोलोस्टिका सोरेंग निर्मला टोप्पो के अलावा दर्जन भर से ज्यादा महिलाएं अभियान में शामिल हो चुकी हैं



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