शुक्रवार, 14 जून 2013

खोज-खबरः 83 लड़कियां, मात्र एक कर्मचारी

<<राकेश पुरोहितवार>>
राज्य के इकलौते महिला रिमांड होम का हाल बुरा है. यहां 14 कर्मियों का स्ट्रेंथ है, लेकिन वर्तमान में एक ही कर्मी कार्यरत है. वह अकेले 83 लड़कियों की देखभाल कर रहा है. विभागीय सूत्रों के मुताबिक, रिमांड होम में कर्मियों की कमी को लेकर प्रभारी ने पत्रचार किया है. निरीक्षण के दौरान स्वयं विभागीय मंत्री विमला प्रधान को भी इस समस्या से अवगत कराया गया, लेकिन इन सब का कोई नतीजा नहीं निकला. इस कारण रिमांड होम में अक्सर लड़कियों में मारपीट हो जाया करती है. 2009 से अब तक आठ लड़कियां भाग चुकी हैं, जबकि दो आत्महत्या का प्रयास कर चुकी हैं.
रिमांड होम मंे राज्य के 24 जिले के अलावा बिहार की भी 19 लड़कियां रह रही हैं. बिहार की लड़कियां राज्य निर्माण के पहले से हैं. जिन्हें अब बिहार भेजने की तैयारी की जा रही है. वर्तमान मंे यहां 83 लड़कियां रह रही है. इसमें 20 से अधिक लड़कियां अनाथ हैं. जबकि 40 के आसपास लड़कियां केस मंे है. उसी तरह 20 लड़कियां प्रेम विवाह, शादी के मामले मंे आयी हैं.
रिमांड होम मंे रह रही अनाथ लड़कियां के पुनर्वास के लिए समाज कल्याण विभाग की ओर से कई योजनाएं चलाई जा रही है. हाल मंे जिला पुलिस बल बहाली मंे पांच लड़कियों ने दौड़, शारीरिक जांच की परीक्षा पास की थी, लेकिन वे लिखित में नहीं पायी. दो लड़कियां निजी संस्थानों मंे काम भी कर रही है. इसके अलावा होम मंे सिलाई-कढ़ाई, खिलौने बनाने का प्रशिक्षण दिया जाता है. लड़कियों को मुख्य धारा से जोड़ने के लिए उन्हें शिक्षा भी प्रदान किया जाता है. रिमांड होम परिसर मंे ही एक सरकारी मध्य विद्यालय संचालित है.

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कमाऊदार, साफ छवि वाले कुंवारे युवाओं के लिए अच्छी खबर है. अगर वे रिमांड होम की अनाथ सयानी लड़कियों को अपना जीवन संगिनी बना लें तो जिला प्रशासन उनकी आर्थिक मदद करेगा. रिमांड होम की अनाथ लड़कियों (18 वर्ष से उपर) के पुनर्वास के लिए प्रशासन ने स्थानीय स्तर पर पहल की है. देवघर रिमांड होम में ऐसी लड़कियों की संख्या करीब 15 है, जो विवाह योग्य हैं. जिला कल्याण पदाधिकारी सह रिमांड होम के प्रभारी अशोक प्रसाद ने कहा कि विवाह के इच्छुक युवक सीधे उनसे संपर्क कर सकते हैं. उनके लिए यह जरूरी है कि वे कम से कम अपना तथा होने वाली पत्नी का पेट पाल सकेेंतन ढंकने के लिए कपड़ा दे सकेें तथा सिर छिपाने के लिए जगह. इससे भी ज्यादा जरूरी यह है कि लड़का स्वच्छ छवि का हो. पहले से शादी-शुदा उम्र दराज हो. जांच-पड़ताल के लिए एक कमेटी भी बनी है. इसमें एनजीओ के प्रतिनिधि को रखा गया है.
अगर लड़का-लड़की दोनों अंतरजातीय होंतो उन्हें सरकार की ओर से घोषित अनुदान 25 हजार रुपये मिलेगा. साथ ही मुख्यमंत्री कन्यादान योजना का लाभ भी मिलेगा. कल्याण पदाधिकारी के अनुसार, ऐसे युवाओं को स्वरोजगार के लिए निगम की ओर कम ब्याज पर लोन उपलब्ध कराया जायेगा.




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