शुक्रवार, 28 जून 2013

वैज्ञानिक तरीके से करें बकरी फार्मिंग

मांस की बढ़ती मांग के कारण बकरी पालन हमेशा से फायदे का धंधा रहा है, मगर वैज्ञानिक पद्धति के अभाव में यह मुर्गी फार्म की तरह कभी संगठित रोजगार के रूप में विकसित नहीं हो पाया. गांव- देहात में लोग 4-5 बकरियां पालते हैं, इसे कभी फुल टाइम पेशे के रूप में नहीं अपनाया गया. बिहार की अनादि संस्था के सचिव प्रदीपकांत चौधरी ने बकरी पालने की वैज्ञानिक पद्धति विकसित की है, जिससे बकरी पालकों को न्यूनतम लागत में अधिकतम लाभ हो सके.

पंचायतनामा डेस्क
अगर कोई व्यक्ति 20 बकरियों की एक छोटी सी यूनिट से रोजगार शुरू करता है तो उसकी शुरुआती लागत एक लाख रुपये होगी, जिसमें बकरी घर और बाड़ा बनाने का भी खर्च शामिल होगा. साल के अंत में ये बकरियां बढ़कर औसतन 100 के करीब हो जायेगी और इस तरह उसका लाभ लगभग 50 हजार रुपये का होगा. अगले साल से लागत में कमी आयेगी क्योंकि घर बार-बार नहीं बनाना पड़ेगा और लाभ सालाना लाख रुपये तक चला जायेगा. अधिक पैसे होने पर या स्वयं सहायता समूह अथवा अन्य को-ऑपरेटिव की सहायता से 4 या 5 यूनिट या अधिक यूनिट भी लगाये जा सकते हैं, जिससे बेहतर लाभ होने की संभावना रहेगी.

बकरी पालन की यूनिट
बकरी फार्म की बेसिक यूनिट 20 बकरियों और एक बोतू(बीजू) बकरे की होनी चाहिये. साल भर में हर बकरी औसतन दो-दो बच्चे देती है इस तरह इस दौरान कुल बकरियों की संख्या लगभग 100 हो जाती हैं.
आवास
बकरी फार्म हमेशा ऊंची जगह पर होना चाहिये, जहां बारिश का पानी रुकता हो. धूप और खुली हवा पहुंचती हो. घर के नजदीक हो तो सुरक्षा के लिहाज से बेहतर साबित होता है. बीस बकरियों की यूनिट के लिए दो से तीन जमीन की जरूरत होती है. बकरी फार्म में मेमने, किशोर बकरियों, वयस्क बकरियों, बोतू, गाभिन बकरियों आदि के लिए रहने की अलग-अलग व्यवस्था होनी चाहिये, भूसा घर अलग हो. फर्श बलुआही मि˜ का होना चाहिए और बाहर की तरह ढलान होना चाहिए ताकि फर्श पर पानी जमें. घर फूस का ही बना हो और घर के बाहर खुला बाड़ा भी होना चाहिए.



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें