शुक्रवार, 14 जून 2013

पंचायत-परिक्रमा: प्रक्रिया के पेच में फंसा समितियों का गठन

<<चुन्नूकांत>>
पंचायत चुनाव के एक वर्ष से अधिक अवधि बीत जाने के बाद भी जिले में स्थायी समितियों का गठन नहीं हो पाया है. फलस्वरूप विकास और व्यवस्था तो प्रभावित हो ही रही है, आने वाले दिनों में प्रतिनिधियों के बीच सिर फुटव्वल की नौबत भी सकती है.
झारखंड पंचायत राज अधिनियम 2001 में  यह व्यवस्था है कि ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद के सदस्यों के बीच से सात स्थायी समितियों का गठन होगा. इनमें सामान्य प्रशासन समिति, निर्माण तथा विकास समिति, शिक्षा स्वास्थ्य तथा वन एवं पर्यावरण समिति, महिला शिशु एवं सामाजिक कल्याण समिति, कृषि सहकारिता सार्वजनिक संपदा एवं उद्योग समिति, संचार एवं अधिसंरचना समिति तथा  ग्राम रक्षा समिति शामिल है. इन समितियों का गठन सर्वसम्मति से होना है. किंतु सदस्यों के बीच गठन को लेकर मतैक्कता नहीं हो तो वैसी स्थिति में निर्वाचन द्वारा सदस्यों के चयन का प्रावधान है. सदस्यों का निर्वाचन कैसे होगा इसके बारे में एक्ट में कोई सुस्पष्ट वर्णन नहीं है. यह मामला यहां पहली दफा तब प्रकाश मंे आया जब जिला परिषद में समितियों के गठन की प्रक्रिया शुरू हुई तोे सदस्यों के बीच सहमति और मतैक्कता नहीं बन पायी. हालांकि इसके लिये अध्यक्ष-उपाध्यक्ष कुछ अन्य जनप्रतिनिधियों के स्तर से पहल और प्रयास भी हुआ किंतु कोई हल नहीं निकला. तब मामला जिला पंचायती राज पदाधिकारी के समक्ष भेजा गया. उन्होंने इस संबंध में राज्य निदेशालय से चुनाव की प्रक्रिया के बारे में निर्देश मांगा. सूत्रों के मुताबिक करीब छह माह बीत जाने के बाद भी अब तक राज्य निदेशालय से इस संबंध में कोई निर्देश प्राप्त नहीं हुआ कि चुनाव की विहित प्रक्रिया क्या होगी. अथवा समितियों के गठन का और रास्ता क्या होगा.यह भी सूचना है कि यहां के डीपीआरओ ने इस संबंध में स्मार पत्र भी भेजा. बावजूद निर्देश अप्राप्त है. फलस्वरूप समितियों के गठन को लेकर यहां उहापोह की स्थिति बनी हुई है.

गिरिडीह में कार्यक्षेत्र को लेकर ऊहापोह
शम्सुल अंसारी
समितियों के कार्यक्षेत्र को लेकर स्पष्ट वर्णन के अभाव में प्रतिनिधियों के बीच समन्वय बिगड़ने और आपसी टकराहट बढ़ने का खतरा बना हुआ है. झारखंड पंचायती राज एक्ट में यह व्यवस्था की गयी है कि शिक्षकों की उपस्थिति विवरणी शिक्षा समिति के माध्यम से आयेगी और उसी अनुरूप शिक्षकों का वेतन बनेगा. पंचायती राज व्यवस्था में तीन लेयर पर कमेटी का गठन होना है.
एक ग्राम पंचायत स्तर, दूसरा पंचायत समिति स्तर तीसरा जिला परिषद स्तर पर. ऐसे में इस बात का स्पष्ट उल्लेख नहीं होने से कि किस स्तर की शिक्षा समिति शिक्षकों की उपस्थिति विवरणी भेजेगी, शिक्षकों के लिये परेशानी का कारण बन गयी है. इस सवाल पर प्रतिनिधियों के बीच भी टकराहट हो सकती है. शिक्षा समिति तो एक बानगी है सात स्थायी समितियों के बीच कई ऐसे मुद्दे हैं, जिसमें कार्यक्षेत्र का स्पष्ट विभाजन नहीं हुआ तो उनके बीच भी टकराव हो सकता है.


गुमला जिला मुख्यालय से पांच किमी की दूरी पर स्थित गढ़सारु. बीते दिनों यहां गढ़सारु सहित दो अन्य गांव बासडीह तेलगांव के ग्रामीणों की बैठक में जंगल को बचाने का संकल्प लिया गया. बैठक में वन सुरक्षा समिति के अध्यक्ष सहित अन्य लोग भी शामिल थे. पेड़ पर्यावरण के प्रति इन गांव के लोगों की जागरूकता का अनुमान इसी बात से लगा सकते हैं कि पेड़ों की पहरेदारी के लिए सात ग्रुप का गठन किया गया. तय किया गया कि तीनों गांव के 35 से 40 लोग प्रतिदिन जंगल की पहरेदारी करेंगे. बैठक में यह भी तय किया गया कि सप्ताह में दो दिन मंगलवार शनिवार को लोग जंगल से सिर्फ सूखी लकडि़यां ला सकते हैं. अगर इस नियम का कोई उल्लंघन करेगा तो उसके खिलाफ कानून कार्रवाई करने के साथ जुर्माना भी लगाया जायेगा. गढ़सारु में 40 एकड़ क्षेत्र में पेड़ लगे हुए हैं.
(गुमला से जौली की रिपोर्ट



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