गुरुवार, 13 जून 2013

सब्जीवाली का खैराती अस्पताल



यह एक महिला के संकल्पशक्ति की कहानी है. सब्जी बेचकर घर चलाने वाली कोलकाता की सुहासिनी मिस्त्री ने वह कर दिखाया जिस पर नारी जाति को हमेशा नाज रहेगा. उसने 21 साल तक लगातार पाई-पाई जोड़कर एक अस्पताल बनवा दिया जिसमें गरीबों का मुफ्त इलाज होता है.
सौ बेड वाले इस खैराती अस्पताल को अब उसका बेटा चला रहा है जिसे उसने पढ़ा-लिखाकर डाक्टर बनाया है. यह सब उसने अपने साथ हुई उस घटना के कारण किया जिसने 40 साल पहले उसका सुहाग उजाड़ दिया था.
1971 में सुहासिनी के पति साधन मिस्त्री की मृत्यु सिर्फ इस वजह से हो गयी थी, क्योंकि उनके पास इलाज के लिए पैसे नहीं थे. साधन एक किसान मजदूर था. इस घटना के बाद सुहासिनी ने तय किया वह ऐसा अस्पताल बनवायेगी जिसमें गरीबों का मुफ्त इलाज हो सके. पति की मौत के बाद उन पर अपने चार बच्चों के लालन-पालन का भी भार था, मगर इस भार ने उसके संकल्प को डिगाया नहीं. पति की मौत के वक्त उसके पास जमा-पूंजी के नाम पर सिर्फ 90 पैसे थे. उसने आस-पड़ोस में झाड़ू-पोछा करना शुरू कर दिया. धीरे-धीरे उसके पास कुछ पैसे हुए तो उसने सब्जी बेचना शुरू कर दिया. तब से वह लगातार सबजी बेचती आयी है. इसी पैसे से उसने बच्चों का लालन-पालन और पढ़ाई-लिखाई किया साथ ही कुछ पैसे अस्पताल के सपनों में भी जोड़ती रही. 21 साल की लगातार बचत के बाद उसके पास इतने पैसे हुए कि वह थोड़ी सी जमीन खरीद सके.
1992 में उसने दो बीघा जमीन खरीदी और झोपड़ी बनाकर खैराती अस्पताल के अपने सपने को हकीकत का जमा पहना दिया. इसके बाद तो लोगों का सहयोग मिलना भी शुरू हो गया. आज यह अस्पताल 15 हजार वर्ग फुट में फैला है. अब यह दो मंजिला भवन में परिणत हो चुका है. आपरेशन थियेटर भी है. सौ बेड वाले इस अस्पताल में रोजाना 50 से 100 लोगों का मुफ्त इलाज होता है. पूरे देश के लिए मिसाल है सुहासिनी.

दूल्हा अच्छेलाल के हौसले को सलाम


मध्यप्रदेश के शिवपुरी में इस मंगलवार(21 फरवरी) को दिल छू लेने वाली घटना हुई. एक युवक ऐसी युवती के घर बारात लेकर पहुंच गया महज दो दिन पहले जिसके साथ डकैतों ने दुष्कर्म किया था. युवक का कहना था कि उसकी होने वाली पत्नी को उस काम की सजा क्यों मिले जिसमें उसका कसूर ही नहीं. इस घटना के बाद पूरे इलाके में बदला-बदला सा माहौल है.
दरअसल उक्त युवक और युवती का विवाह पहले से तय था. मगर विवाह से महज दो दिन पहले युवती के घर डकैती हो गयी. डकैतों ने विवाह के लिए खरीदे गये गहने-जेवर और रुपये पैसे तो लूट ही लिये, जाते-जाते युवती और उसकी बहन को दुष्कर्म का शिकार बना गये. इस घटना से पूरा परिवार सदमे में था. मगर ऐन विवाह के दिन जब दूल्हा छोटी सी बारात लेकर दुल्हन के दरवाजे पर पहुंच गया तो दुल्हन पक्ष के लोग चकित रह गये. दुल्हन जो हताशा की हालत में थी झटपट उठ कर तैयार हुई और विवाह संपन्न हुआ.
दूल्हा अच्छेलाल यादव बारहवीं पास भी नहीं है, वह खेती-बारी का काम करता है. उसका कहना है कि यह उसके लिए परीक्षा की घड़ी थी. आखिर वह इस बात की सजा कैसे उस लड़की को दे देता जिसमें उसका कोई कसूर ही नहीं था. अब उसने इस लड़की से शादी की है और उसको इंसाफ दिलाने में भी उसका सहयोग करेगा. अच्छेलाल के जज्बे को सलाम.

15 लाख की है हिसार की धन्नो


हसार के  सिंघवा खास निवासी मास्टर होशियार सिंह की धन्नों की कीमत स्कॉर्पियो और टाटा सफारी से अधिक है. लोग उसके लिए 15 लाख रुपए तक  देने को तैयार हैं, लेकिन होशियार सिंह इसे बेचना नहीं चाहते.
धन्नों अब तक  साढ़े चार लाख रुपए के  इनाम जीत चुकी है. प्रदेश सरकार की तरफ से हरियाणा चैंपियन बनकर तीन बार इनाम जीत चुकी है और रोजाना 23 किलो दूध देती है. इसी प्रकार से लख्खो प्रतिदिन 24 किलोग्राम दूध देती है और अब तक  इसकी कीमत 5 लाख 84 हजार रुपए लग चुकी है. कुरुक्षेत्र के  बाबैन स्थित सुनारिया गांव निवासी कर्मबीर को मुर्राह नस्ल के  पशुओं को पालने का शौक  है.
इसमें मुर्राह नस्ल का जोटा योगराज, इसका पुत्र युवराज तथा बहन गंगा शामिल है. युवराज मुक्तसर में हुई ऑल इंडिया प्रतियोगिता में तीसरे स्थान पर रहा, जबकि हिसार में हुई प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पाया. योगराज की उम्र साढे छह साल तथा युवराज की उम्र साढ़े चार की है. अब तक  दो माह में वह 12 लाख रुपए की सीमन बेच चुके  हैंं. दोनों पशुओं पर प्रतिदिन एक  हजार रुपये का खर्च आता है और बढि़या खुराक  दी जाती है
  

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