गुरुवार, 27 जून 2013

पंचायतनामा की खबर का असर

विभागीय मंत्री ने अधिकारियों को दी चेतावनी
डिप्टी सीएम सुदेश महतो ने कहा-पंचायत प्रतिनिधियों को दें पूरा सम्मान
अधिकारियों को चुने हुए प्रतिनिधि को हटाने का अधिकार नहीं
ग्रामसभा है महत्वपूर्ण

संजीत मंडल, देवघर
पंचायतनामा के दूसरे अंक में -पावर दिया नहीं, कराया जा रहा है औकात का अहसास- शीर्षक से एक खबर प्रकाशित हुई थी. खबर को विभागीय मंत्री डिप्टी सीएम सुदेश महतो ने गंभीरता से लिया और देवघर जिला प्रशासन के अधिकारियों से नाराजगी जाहिर की. मंत्री के हस्तक्षेप के बाद प्रशासन हरकत में आया है और जितने भी मुखिया और पंचायत प्रतिनिधियों पर जिला प्रशासन ने कार्रवाई की थी, सस्पेंशन, पावर सीज आदि किया था, सभी को उनका अधिकार वापस दे दिया गया. निलंबन भी वापस हो गया.

26 फरवरी को आये थे डिप्टी सीएम
डिप्टी सीएम सुदेश महतो 26 फरवरी को समाहरणालय में एक शिलान्यास समारोह में भाग लेने के लिए आये थे. इस दौरान उन्हें यह जानकारी दी गयी कि प्रशासन प्रतिनिधियों के साथ अन्याय कर रहा है. इस पर श्री महतो ने खुले मंच से देवघर सहित पूरे झारखंड के अधिकारियों को हिदायत दी कि जनप्रतिनिधियों का सम्मान करें.

क्या था आरोप और क्या हुई थी कार्रवाई
सुलेखा देवी, मुखिया-बैजुकुरा पंचायत(सारवां प्रखंड)
आरोप : नियम विरुद्ध कुआं निर्माण के लिए लाभुक को 15 हजार रुपये एडवांस दे दिया.
राजेश राय, मुखिया-बाघमारी पंचायत(देवीपुर प्रखंंड)
आरोप : सड़क निर्माण में जेसीबी के प्रयोग का आरोप
सस्पेंड मुखिया
कौशल्या देवी, मुखिया बधनाडीह पंचायत करौं प्रखंड
आरोप : बिचौलिये के साथ साठ-गांठ
स्पष्टीकरण पूछा गया
नूरजहां बेगम, मुखिया-चांदडीह पंचायत(देवघर प्रखंड)
आरोप : मनरेगा के मस्टर रोल में जेल में रह रहे व्यक्ति का नाम भर दिया

शिक्षित प्रतिनिधि करेंगे विकास
पंचायत चुनाव में महिलाओं की 50 फीसदी भागीदारी सुनिश्चित होने के कारण कई उच्च शिक्षा प्राप्त महिलाएं भी चयनित होकर समाज कल्याण में लग गयी है. ऐसी ही एक महिला है निरसा प्रखंड के आमकुड़ा पंचायत समिति सदस्य अनुराधा सिन्हा. महिलाओं में इन्हें प्रखंड में सबसे उच्च शिक्षित जनप्रतिनिधि माना जा रहा है. अनुराधा सिन्हा ने मानव शास्त्र में एमए के अलावा एलएलबी की शिक्षा प्राप्त की है. उनका कहना है कि प्रारंभ से ही जनसेवा से लगाव था. इधर जब पंचायत चुनाव की घोषणा हुई, तो यह लगाव जोर मारने लगा. तब उन्होंने पंसस की चुनाव लड़ा और इसमें उन्हें सफलता मिला. परंतु उन्हें सरकार से एक शिकवा जरूर है. कहना है कि सरकार ने चुनाव तो करा लिया, परंतु अधिकार नहीं दिया. इसके कारण चाह कर भी वे कल्याणकारी काम नहीं कर पा रही हैं. उनकी तमन्ना क्षेत्र के पिछड़ी महिलाओं का स्तर उंचा करना है. वैसे वह पंचायत समिति एकता संघ की उपाध्यक्ष प्रखंड सहकारिता स्थायी कमेटी की सदस्य भी हैं. उन्हें इस बात का दुख नहीं है कि उच्च शिक्षा प्राप्त कर नियोजन की जगह समाज सेवा में लगी हुई हैं.
(निरसा से प्रदीप कुमार की रिपोर्ट)

सदर प्रखंड अंतर्गत बरकुंडिया गांव के किसान लोबो बोदरा (42 वर्ष) बागवानी कर सालाना 45 से 50 हजार रुपये कमा रहे हैं. उन्होंने इसके लिए कहीं से भी प्रशिक्षण नहीं लिया है. शुरू में छोटे स्तर पर बागवानी की. फिर धीरे-धीरे इसका दायरा बढ़ाया. किसी से कोई आर्थिक मदद भी नहीं ली, सबकुछ अपने बूते ही किया. लोबो के खेत इली नदी से 2200 फूट दूर हैं. पहल से ही नदी में लिफ्ट एरिगेशन लगा है. उसी से आनेवाले पानी को तीन गड्ढों में जमा करते हैं और उससे साग-सब्जी की सिंचाई करते हैं. जमीन की जुताई ट्रैक्टर से करते हैं. सिर्फ धान की खेती के समय बागवानी नहीं करते. उन्होंने चार जमीन में खीरा, चार में टमाटर, चार में कद्दू, सरसों, बैंगन लगाये हैं. करीब तीन कट्ठा जमीन में भिंडी, करेला आदि लगानेवाले हैं.
(तांतनगर से गणेश बारी की रिपोर्ट तसवीर)





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