रविवार, 30 जून 2013

भये प्रकट कृपाला, दीनदयाला...

पंडित अमित शर्मा
प्रख्यात ज्योतिषाचार्य
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भगवान राम का जन्म कर्क लगन में हुआ था. उनके लगन मंें उच्च का गुरु एवं स्वराशी का चंद्रमा था. इसी कारण भगवान राम विशाल व्यक्तित्व के थे और उनका रूप अति मनोहर था. लग्न में उच्च का गुरु होने से वह मर्यादा पुरुषोत्तम बने. चौथे घर में उच्च का शनि सप्तम भाव में उच्च का मंगल था, अत: भगवान श्रीराम मांगलिक थे. इस कारण उनका वैवाहिक जीवन कष्टों से भरा रहा. उनकी कुंडली के दशम भाव में उच्च का सूर्य था, जिससे वे महा प्रतापी थे. कुल मिलाकर भगवान राम के जन्म के समय चार केंद्रों में चार उच्च ग्रह विराजमान थे
शास्त्रों के अनुसार, भगवान श्रीराम का जन्म दोपहर के 12 बजे हुआ था और उसी खुशी में रामनवमी मनायी जाती है. इस दिन भगवान राम हनुमान के मंदिरों को दुल्हन की तरह सजाया जाता है. सर्वप्रथम भगवान राम की मूर्ति को दूध, दही, शुद्ध घी, शहद, गंगाजल मेवे से नहलाया जाता है उनकी विशेष पूजा की जाती है. इस दिन गाजे-बाजे के साथ भगवान की शोभायात्रा निकाली जाती है. हर ओर भगवान राम महावीर हनुमान की गूंज होती है.

देवघर में मां दुर्गे मां पार्वती की करें पूजा
इस बार आप चैत्र नवरात्र के मौके पर राज्य के प्रमुख मंदिरों में मां दुर्गे का दर्शन-पूजन कर सकते हैं. देवघर में बाबा मंदिर के प्रांगण में स्थित मां पार्वती मां दुर्गे के मंदिर में पूजा-अर्चना कर सकते हैं. देवघर संभवत: देश की एक मात्र धार्मिक नगरी है, जहां ज्योर्तिलिंग शक्तिपीठ दोनों एक साथ स्थित है. देवघर में माता की पूजा-अर्चना के साथ ही आप बाबा बैद्यनाथ की पूजा-अर्चना का पुण्य भी पायेंगे. देवघर दिल्ली-कोलकाता मुख्य रेल लाइन पर स्थित जसीडीह से छह किमी की दूरी पर है. अत: यहां आने-जाने के लिए दर्जनों ट्रेनें उपलब्ध हैं. राज्य के विभिन्न हिस्सों से बस सेवा से भी यह नगरी जुड़ी हुई है. इसलिए यहां जाना आसान नहीं है.
रजरप्पा मंदिर में करें मां छिन्नमस्तिके की पूजा
रजरप्पा स्थित मां छिन्नमस्तिके के मंदिर का इतिहास काफी पुराना है. यूं तो सालों भर यहां श्रद्धालुओं का आना लगा रहता है, लेकिन नवरात्र के समय इस मंदिर में पूजा का विशेष महातम्य है. रामगढ़ से महज 28 किमी की दूरी पर गोला प्रखंड क्षेत्र में स्थित यह मंदिर बोकारो से भी करीब है.
ट्रेन से आने वाले श्रद्धालु बोकारो उतर कर बस किराये पर वाहन लेकर रजरप्पा पहुंच सकते हैं. रांची से यह मंदिर महज 68 किमी की दूरी पर स्थित है. रजरप्पा का मंदिर भैरवी दामोदर नदी के संगम पर स्थित है. यहां मुख्य मंदिर के अलावा भी कई मंदिर हैं.



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