शुक्रवार, 28 जून 2013

महिला थाने में महिलाओं की होनी चाहिए तैनाती

पुलिस समाज की एक महत्वपूर्ण इकाई है. सामाजिक व्यवस्था बनाये रखने कानून का राज कायम रखने में इसका महत्वपूर्ण योगदान होता है. ऐसे में पुलिस से जुड़ी जानकारियां रखना जरूरी है. पंचायतनामा आपको पुलिस उससे जुड़ी ऐसी ही कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां प्र-उत्तर के प्रारूप में दे रहा है :

बीट कांस्टेबल क्या होता है?
किसी बीट पुलिस अधिकारी को इस नाम से इसलिए बुलाया जाता है, क्योंकि उसका एक विशेष निर्धारित कार्य क्षेत्र होता है या रूट होता है, जिस पर वह स्वयं और कभी-कभी अन्य पुलिस अधिकारी के साथ गश्त लगाता है, ताकि यह पता लगे कि इस क्षेत्र में सब कुछ व्यवस्थित है और कोई संदिग्ध घटना नहीं घटने वाली है. रात्रि गश्त में कभी-कभी पुलिस आवाज लगाती है या अपनी लाठी बजाती है ताकि लोगों को पता चल सके कि वह गश्त पर है
क्या ट्रैफिक पुलिस कर्मी किसी व्यक्ति को अन्य अपराध करने पर भी गिरफ्तार कर सकता है?
बिल्कुल. एक ट्रैफिक पुलिस कर्मी भी एक पुलिस अधिकारी होता है. भले ही उसे मूल रूप से यातायात नियंत्रण की जिम्मेवारी सौंपी गयी हो, लेकिन वह किसी व्यक्ति द्वारा दूसरे प्रकार के अपराध करने पर भी उसको गिरफ्तार कर सकता है या पकड़ सकता है.
क्या महिला पुलिस कर्मियों के कर्तव्य भिन्न होते हैं?
नहीं. जहां तक नियम और कानून का संबंध है महिला पुलिसकर्मी वही काम करती हैं, जो पुरुष पुलिस कर्मी करते हैं. पर, महिला पुलिस थानों में सिर्फ महिलाओं की तैनाती किये जाने का प्रावधान है. लेकिन झारखंड में कई महिला थानों में पुरुष पुलिस कर्मी तैनात हैं.
सीआइडी क्या है? क्या यह पुलिस से भिन्न है?
सीआइडी का अर्थ होता है : अपराध जांच विभाग (क्राइम इन्वेस्टीगेशन डिपार्टमेंट). इसे कभी-कभी विशेष शाखा या जांच शाखा भी कहा जाता है. सीआइडी राज्य पुलिस की जांच एजेंसी होती है. उसे धोखाधड़ी, बेईमानी, गैंगवार या अंतरराज्यीय संबंधों वाले अपराधों जैसे गंभीर अपराध की जांच का कार्य दिया जाता है. सीआइडी के कर्मियों का चयन पुलिस अधिकारियों में से ही किया जाता है.
(कॉमनवेल्थ हयूमन राइटस इनिशिएटिव की पुस्तक से साभार)


किसान कॉल सेंटर से लें जानकारी

किसान भाइयों के लिए एक राष्ट्रीय हेल्पलाइन नंबर काम करता है, जिस पर देश के किसी भी कोने से किसान भाई संबंधित फसल कृषि से संबंधित अन्य जानकारी हासिल कर सकते हैं. इस हेल्पलाइन का नंबर है : 1800-180-1551. आप इस नंबर पर फोन कर कृषि, फसल, पौधों की देखरेख से संबंधित जानकारी हासिल कर सकते हंै. यह हेल्पलाइन टोल फ्री (शुल्क मुक्त) है. इस पर आप हर दिन किसी भी फोन से सुबह छह बजे से रात के दस बजे तक देश के किसी भी कोने से संपर्क कर सकते हैं. देश में वर्तमान में विभिन्न राज्यों में 25 किसान कॉल सेंटर काम कर रहे हैं. आज जिस क्षेत्र में रहते हैं, उसी क्षेत्र के कॉल सेंटर से आपका संपर्क होगा आप अपने सवालों का जवाब जान सकेंगे. किसान कॉल सेंटर से आप अपनी भाषा में जानकारी हासिल कर सकते हैं.
जब आप किसान काल सेंटर में फोन करते हैं, तो वहां मौजूद प्रतिनिधि आपको अपने ज्ञान उपलब्ध कंप्यूराइज्ड नॉलेज डाटाबेस के आधार पर जानकारी देता है. किसान काल सेंटर के प्रतिनिधि अपने विषय के जानकार होते हैं. वे कृषि में गे्रजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट कृषि वैज्ञानिक तक होते हैं. अगर आपको किसी विशेषज्ञ की सलाह की जरूरत है, तो प्रतिनिधि आपकी बात कॉल-कान्फ्रेंस के माध्यम से उनसे करवायेगा या आपकी जिज्ञासा उन तक पहुंचा कर उसका समाधान करने की कोशिश करेगा.
राज्यों में किसान कॉल सेंटर की देखरेख प्रबंधन की जिम्मेवारी वहां के कृषि सचिव, कृषि निदेशक सहित संबंधित अधिकारियों बीएसएनएल के संबंधित अधिकारी नोडल अधिकारी पर होती है. 2010-11 में किसान कॉल सेंटर को देश भर से 20 लाख फोन कॉल गये, जबकि 2009-10 में नौ लाख फोन कॉल गये थे. 2004 से शुरू हुई इस हेल्पलाइन पर अबतक 60 लाख से अधिक फोन कॉल चुके हैं



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