बुधवार, 26 जून 2013

होली की मस्ती में न पड़े खलल

होली मस्ती का त्योहार है. रंग और गुलाल से पूरा जहान खिल उठता है. मगर कई बार छोटी-छोटी गलतियों के कारण और थोड़ी सी असावधानी से बड़ी घटनाएं हो जाती हैं और होली के रंग में भंग पड़ जाता है. इसलिए होली खेलते वक्त हमें कुछ बातों का ख्याल रखना चाहिए, ताकि होली की खुशियां बरकरार रहे.

होली जरूर खेलें मगर दूसरों को परेशान करें. यह ध्यान रखें कि हम जिसके साथ होली खेलना चाह रहे हैं, वह भी ऐसा चाह रहा है या नहीं. कई बार हम लोग यह सोचे समझे बगैर भी रंग डाल देते हैं कि सामने वाला किसी दूसरे काम के लिए तो नहीं जा रहा. अगर आपके रंग डालने से कोई परेशान हो रहा तो फिर आपको मजा तो आयेगा उसके लिए सजा हो जायेगी.
आंख और उसके आसपास रंगों का इस्तेमाल करने से बचें.
गीले फर्श पर दौड़ने से बचें और अगर दौड़ना ही पड़े तो संभलकर दौड़ें.
नाली के पानी से कभी होली नहीं खेलें, यह आपके और दूसरों के स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह है.
अगर रंगों के कारण चेहरे पर खुजली होने लगे तो तत्काल डाक्टर से संपर्क करें.
अगर संभव हो तो प्राकृतिक रंगों का ही इस्तेमाल करें. प्राकृतिक रंग घर में ही तैयार किये जा सकते हैं.

घर में तैयार हो सकते हैं प्राकृतिक रंग

प्राकृतिक रंग हर लिहाज से बच्चों के लिए कम नुकसानदेह होते हैं. इसलिए आजकल रासायनिक रंगों की जगह प्राकृतिक रंगों को तरजीह दी जा रही है. वैसे तो प्राकृतिक रंग बाजार में भी मिलने लगे हैं, मगर इन्हें घर पर भी तैयार कराया जा सकता है.
हल्दी, मेहंदी और बीट से अलग-अलग रंग बनाये जा सकते हैं.
दो लीटर पानी में एक चम्मच हल्दी मिलाकर उसे गर्म करें, बेहतर रंग तैयार हो जायेगा.
पानी में गेंदा और अमलताश के फूल को मिलाकर उसे खौलाएं और रात भर के लिए छोड़ दें.
एक लीटर पानी में दो चम्मच मेहंदी मिलाकर बेहतर रंग तैयार किया जा सकता है.
धनिया, पालक, टमाटर, पुदीना और ऐसी ही सब्जियों के पत्ते को पानी में मिलाकर हरा रंग तैयार किया जा सकता है.

कमाल की पिचकारी

इस साल बाजार में कुछ नये तरह की पिचकारियां रही हैं. इनमें से स्पाइडर मैन और रोबोट टाइप की भी पिचकारियां हैं. पेश है उन पिचकारियों की तस्वीर. आप अपने पास की दुकान से या बाजार से ऐसी पिचकारियां खरीद कर होली का मजा दोगुना कर सकते हैं



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