मंगलवार, 25 जून 2013

सोने के अंडे देता को-ऑपरेटिव

गुमला की ग्रामीण कम पढ़ी-लिखी महिलाओं ने स्वावलंबन आर्थिक स्वतंत्रता की एक नयी कहानी रची है. आज पॉल्ट्री फॉर्म संचालित कर इस जिले की सैकड़ों महिलाएं आत्मनिर्भर हो चुकी हैं. पेश है सहकारिता के माध्यम से अर्जित इस सफलता के विभिन्न पक्षों को समाहित करती ओमप्रकाश चौरसिया की रिपोर्ट :

आप सोचिए, आपके गांव-कस्बे की कुछ महिलाएं एक छोटी सहकारी समिति बनाकर कोई काम शुरू करती हैं और समय के साथ उस छोटी कोशिश का इतना विस्तार होता है कि वह सैकड़ों लोगों की जीविका का आधार बन जाती है तो आपको कैसा लगेगा? नि:संदेह यह आपके लिए गौरव की बात होगी. झारखंड के पिछड़े जिले गुमला के सिलम गांव की महिलाओं ने सहकारिता के जरिये क्षेत्र में ऐसा ही बदलाव लाया है. महज नौ महिलाओं से शुरू हुई गुमला ग्रामीण पॉल्ट्री स्वावलंबी सहकारिता समिति से आज 700 से ज्यादा महिलाएं जुड़ी हुई हैं और अपने परिवार के लिए जीविका अर्जित कर रही हैं.
समिति से जुड़ी महिलाओं का               होता है बीमा
पॉल्ट्री स्वावलंबी सहकारिता समिति का गठन निबंधन वर्ष 2002 में कराया गया था. आज इस समिति के पास अपना कार्यालय है, सीइओ (मुख्य कार्यपालक अधिकारी) है चार्टर्ड एकाउंटेंट भी है. इस वर्ष समिति ने चार करोड़ 46 लाख 41 हजार 544 रुपये के कारोबार का लक्ष्य रखा है. मुनाफे का लक्ष्य 37 लाख 98 हजार 451 रुपये  का है. एक अप्रैल से 31 जुलाई 2011 तक समिति का शुद्ध मुनाफा 1.60 लाख रुपये था. समिति की वर्तमान में अध्यक्ष सुमती देवी उपाध्यक्ष ललिता देवी हैं. इस समिति को स्वयंसेवी संस्था प्रदान से काफी मदद मिली है.

समिति का उद्देश्य
समिति द्वारा अपने सदस्यों को हर संभव मदद दी जाती है. जैसे अच्छे नस्ल के चूजे, दाना, दवा, तकनीकी सहायता बेहतर बाजार उपलब्ध कराना. समिति बाजार के हर उतार-चढ़ाव से बचाती हैवर्ष 2010 2011 समिति के लिए अच्छा नहीं रहा. कच्चा माल की कीमत अधिक होने मुर्गी का दाम कम मिलने से अधिक फायदा नहीं हो सका था. फिर भी समिति के सदस्यों ने फायदा देने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी. गरीब महिलाओं को मुरगी पालन के जरिये आर्थिक रूप से स्वावलंबी मजबूत बनाना समिति का सपना है.
कैसे होता है काम
समिति को चलाने के लिए 15 सदस्यीय एक कार्यकारिणी बोेर्ड है. इसकी हर माह एक बार बैठक होती है. बैठक में हर तरह के निर्णय लिये जाते हैं. जैसे सामान खरीद या बिक्री, भविष्य की योजनाएं समिति के लोगों से क्या गलती हुई. साथ ही इस बैठक में नये सदस्यों को कार्यकारिणी बोेर्ड में शामिल करने पर भी निर्णय लिया जाता है.
कैसे होता है अंकेक्षण
समिति का साल भर के कारोबार लेन-देन का अंकेक्षण कराने के लिए एसके झा एसोसिएट चार्टड एकाउंट को नियुक्त किया गया है. हर तीन माह में आडिटर आकर अंकेक्षण करते हैं. इस साल भी कंपनी द्वारा अंकेक्षण किया गया
कौन हैं समिति में
समिति के पास एक मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी, एक सहकारी प्रोडक्शन मैनेजर, एक प्रबंध लेखापाल, दो लेखापाल, एक कार्यालय सहायक, सिलम फीड प्लांट में एक मैनेजर, दो सहायक मैनेजर हैं. इनके अलावा टाटा 407 वाहन का एक चालक, एक खलासी एक प्रशिक्षक भी हैं. इन सभी का वेतन समिति देती है. सदस्यों को काम में मदद करने के लिए हर एक गांव में दो सुपरवाइजर हैं. कुल मिलाकर 27 सुपरवाइजर हैं. समिति का निबंधित कार्यालय सिलम में हैं. पर, सभी कार्य गुमला से निष्पादित होते हैं.
छोटी शुरुआत, लंबा सफर
समिति का गठन महिलाओं कोे मुर्गी पालन का प्रशिक्षण देकर उसका पालन करवा आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के उद्देश्य से 2002 में किया गया. प्रारंभ में इस समिति में मात्र नौ सदस्य थीं. आज समिति व्यापक रूप ले चुकी हैं इसके सदस्यों की संख्या बढ़कर 701 हो गयी है



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