पंचायतनामा डेस्क
पंचायतनामा के पिछले अंक में आपने पढ़ा कि त्रिस्तरीय पंचायती राज की संरचना कैसी होती है, ग्रामसभा क्या है, पंचायतों के गठन का आधार क्या होता है और उनकी कार्य अवधि क्या होती है. इस अंक में हम आपको बतायेंगे कि विभिन्न स्तरों व विभिन्न प्रकार के पंचायत राज निकायों के लिए गणपूर्ति कितनी होगी. उसकी बैठक कैसे और कितनी अवधि में होगी व कौन-कौन सी स्थिति में उसकी बैठक बुलायी जा सकती है. पूर्व की तरह इस बार भी हम आपको यह जानकारी सवाल-जवाब के प्रारूप में दे रहे हैं.
जिला परिषद, पंचायत समिति व ग्राम पंचायत की बैठक के लिए कोरम पूरा करने के लिए कितने सदस्यों की उपस्थिति चाहिए?
जिला परिषद व पंचायत समिति की बैठक के लिए उसके कुल सदस्यों की एक तिहाई उपस्थिति चाहिए. जबकि ग्राम पंचायत की बैठक का कोरम पंचायत गठित करने वाले सदस्यों की कुल संख्या के आधे की उपस्थिति से पूरा होगा. यदि बैठक के दौरान कोरम पूरा नहीं हो रहा है, तो पीठासीन पदाधिकारी बैठक को उस तारीख के लिए स्थगित कर दिया जायेगा, जो वह तय करेगा. बैठक की अगली तारीख की सूचना कार्यालय में चिपकानी होगी. कोरम की कमी से स्थगित की गयी बैठक में किसी नये विषय पर विचार नहीं किया जा सकेगा.
जिला परिषद अध्यक्ष, प्रमुख व मुखिया को कितने समय अंतराल पर बैठक बुलानी होगी?
जिप अध्यक्ष, प्रमुख या मुखिया को क्रमश: जिला परिषद, पंचायत समिति या ग्राम पंचायत की बैठक महीने में एक बार बुलानी होगी. यदि अध्यक्ष, प्रमुख या मुखिया किसी महीने में बैठक बुलाने में असफल रहता है, तो जिला परिषद के लिए मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी, पंचायत समिति के लिए कार्यपालक पदाधिकारी व ग्राम पंचायत का सचिव पिछली बैठक की तिथि के 25 दिन की समाप्ति के बाद संबंधित पंचायत की बैठक की सूचना जारी करेगा. यानी जनप्रतिनिधियों के विफल रहने पर अधिकारी सक्रिय हो जायेंगे.
आय-व्यय का लेखा-जोखा कैसे रखा जायेगा?
ग्राम पंचायत की पिछली बैठक व चालू बैठक के बीच की अवधि के आय-व्यय का प्रतिवेदन व जारी वित्तीय वर्ष में संचयी आय-व्यय का प्रतिवेदन ग्राम पंचायत के सचिव द्वारा ग्राम पंचायत के सामने रखा जायेगा. ऐसे प्रतिवेदन पर ग्राम पंचायत में चर्चा की जायेगी. पंचायत समिति व जिला परिषद में ऐसा प्रतिवेदन क्रमश: कार्यपालक पदाधिकारी व मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी उसकी बैठक में तीन महीने में एक बार रखेंगे.
विशेष परिस्थितियों में बैठक कैसे होगी?
यदि पंचायत, पंचायत समिति व जिला परिषद के 50 प्रतिशत से अधिक सदस्य अपने निकाय की बैठक बुलाने के लिए आवेदन देते हैं, तो जिला परिषद अध्यक्ष, प्रखंड प्रमुख व मुखिया को आवेदन प्राप्त होने के सात दिनों के अंदर बैठक बुलानी होगी. यदि अपने-अपने स्तर पर अध्यक्ष, प्रमुख या मुखिया बैठक बुलाने में असफल रहते हैं, तो वे सदस्य जिन्होंने बैठक के लिए आवेदन दिया है, स्वयं ही बैठक बुला सकते हैं. इस संबंध में जिला परिषद के लिए मुख्य कार्यपालक अधिकारी, पंचायत समिति के लिए कार्यपालक पदाधिकारी व ग्राम पंचायत के लिए पंचायत सचिव बैठक बुलाने की सूचना जारी करेगा.
पूरी तरह शराबमुक्त हुआ कोकचो गाव
आखिरकार कोकचो के ग्राम मुंडा सुशील कालुंडिया व ग्रामीणों का प्रयास रंग लाया. करीब 1500 की आबादीवाले कोकचो गांव में अब अंगरेजी शराब की बिक्री व देसी शराब की चुलाई का काम 90 फीसदी तक बंद हो गया है. कुछ दिन पहले ग्राम मुंडा व ग्रामीणों ने गांव में शराब बिक्री व चुलाई पर रोक लगाने का निर्णय लिया था. शराब अड्डों पर जाकर ग्रामीणों ने शराब विक्रेताओं को समझाया, मगर उन्होंने बात नहीं मानी. बाद में उनकी शराब भियों को तोड़ दिया गया. जो माना, उसे नुकसान नहीं पहुंचाया गया. ग्रामीणों की इस पहल की सराहना आसपास के गांवों के ग्रामीण भी कर रहे हैं.
बड़ानंदा में बताये गये ग्रामसभा के अधिकार
जगन्नाथपुर प्रखंड कांग्रेस कमेटी के तत्वावधान में बड़ानंदा पंचायत में ग्रामसभा के अधिकार व भूमिका पर प्रखंड अध्यक्ष शिशिर सिंकू की अध्यक्षता में कार्यशाला हुई. पंचायत प्रतिनिधियों, कार्यकर्ताओं,
ग्रामीणों ने इसमें भाग लिया. मुख्य वक्ता कांग्रेस के सन्नी सिंकू ने कहा कि झारखंड सरकार ने पंचायत व ग्रामसभा के अधिकारों को अपने भ्रष्ट अफसर व कर्मचारियों के हाथों में दे रखा है. पंचायत के विकास के लिए आ रहे केंद्र के पैसे का दुरुपयोग किया जा रहा है. सरकार ने ग्रामसभा के अधिकारों को अपने पास रखा है. नाजिर लागुरी ने कहा कि पंचायती व्यवस्था में पंचायत सेवक की भूमिका स्पष्ट नहीं है. मौके पर सिकंदर बोबोंगा, सालुका बोबोंगा, रामराई बोबोंगा, मधुसूदन सिंकू, मुंडा सुरेंष्ट्र नाथ सिंकू, सुमन ज्योति सिंकू, भीमसिंह सिंकू, बुधराम बोबोंगा, यशमति देवगम, नरेश लागुरी, बादुला कोड़ा, संदीप तिरिया, मंटू तिरिया, गौरचंद्र गोप, बबलू गोप, लक्ष्मी जेराई आदि मौजूद थे
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