पंचायत चौपाल से मेगा चौपाल तक

32 साल बाद वर्ष 2010 में झारखंड में पंचायत चुनाव हुआ. ऐसे में पंचायत चुनाव के बाद प्रभात खबर ने घाटशिला अनुमंडल के विभिन्न प्रखंडों में पंचायत चौपाल आयोजित करने का बीड़ा उठाया. तीन जनवरी 2011 को बहरागोड़ा की रजलाबांध पंचायत से शुरुआत हुई. एक पेड़ के नीचे चौपाल लगी. सभी पंचायत प्रतिनिधि उपस्थित हुए. ग्रामीण प्रधान और ग्रामीण भी जुटे. चौपाल में विभिन्न समस्याओं पर चर्चा हुई. हल खोजे गये. जन प्रतिनिधियों और जनता ने चौपाल को सराहा. फिर इसके बाद अभियान में तेजी आयी. चौपाल लगती रही, भीड़ जुटती रही और अभियान चलता रहा. जनता और जन प्रतिनिधि एक दूसरे से रू-ब-रू होते रहे.
इसी कड़ी में नक्सल प्रभावित और सबसे पिछड़े गुड़ाबांदा प्रखंड की आठ पंचायतों में चौपाल लगी. चौपाल में गजब के उत्साह के साथ गांव वाले शामिल हुए. फिर 31 मार्च 2011 को वह दिन आया, जब इस प्रखंड की सिंहपुरा पंचायत के ज्वालकांटा में बरगद के पेड़ के नीचे आठ पंचायतों को मिलाकर मेगा चौपाल आयोजित की गयी. इस चौपाल में आठ पंचायतों के जन प्रतिनिधि, घाटशिला के विधायक रामदास सोरेन, बहरागोड़ा के विधायक विद्युत वरण महतो, जिला परिषद की सदस्य शांति देवी, राजू कर्मकार समेत सैकड़ों लोग जुटे. कई समस्याओं का हल निकला. गुड़ाबांदा प्रखंड मुख्यालय को लेकर उठे विवाद का हल चौपाल में निकला. जन प्रतिनिधियों ने चौपाल में ही ज्वालकांटा में प्रखंड मुख्यालय बनाने पर मुहर लगायी. चौपाल के बाद विधायक सक्रिय हुए. क्षेत्र की कई सड़कों के बनने का काम शुरू हुआ. इसके बाद घाटशिला प्रखंड की 22, धालभूमगढ़ की दो, मुसाबनी की एक, डुमरिया की दो और चाकुलिया की तीन कुल 39 पंचायतों में चौपाल लगायी गयी. घाटशिला के गंधनिया हाट मैदान में 24 अप्रैल 2011 को मेगा पंचायत चौपाल लगी. हजारों लोग जुटे. जन प्रतिनिधि आये. कई समस्याएं सामने आयीं. समस्याओं पर तुरंत कार्रवाई भी शुरू हुई. इस तरह के प्रयास से पंचायत प्रतिनिधियों का आत्मविश्वास मजबूत हुआ है.
(धरिश्चंद्र सिंह की रिपोर्ट)
पंचायत चुनाव के बाद पलामू में कई महत्वपूर्ण बदलाव आये. पिछले 10 सालों से बंद चुकरू जलाशय योजना फिर से शुरू हुई. जिला परिषद ने जिले की 283 पंचायतों में आपदा प्रबंधन के लिए दो-दो लाख रुपये सभी मुखियों को दिया. साथ ही 3.15 लाख रुपये कार्यालय सुंदरीकरण व पंचायत के छोटे कार्यो के लिए भी दिये गये. ताकि छोटे स्तर की समस्या दूर हो सके. जिप उपाध्यक्ष विनोद कुमार सिंह कहते हैं कि चुकरू जलापूर्ति योजना पिछले 10 वर्षो से बंद पड़ी थी. चुकरू गांव फ्लोराइड से प्रभावित है. जलापूर्ति योजना निर्माण के बाद नियमित ढंग से नहीं चल सकी. जिला परिषद ने प्राथमिकता के आधार पर वहां के लोगों को स्वच्छ पानी उपलब्ध कराने के लिए जलापूर्ति योजना को शुरू कराया. बेहतर बिजली व्यवस्था के लिए अलग फीडर की भी व्यवस्था करायी गयी. हुसैनाबाद से जपला-पथरा रोड की मरम्मत करायी गयी. यह रोड बिहार तक जाती है. उन्होंने कहा कि पांच कैंसर पीड़ित को अनुदान दिला कर इलाज के लिए बाहर भेजा गया.
अधिकार नहीं मिलने से रुका है पंचायत का विकास
पलामू जिला परिषद अध्यक्ष अनीता देवी ने कहा कि पंचायत चुनाव के एक वर्ष बीत जाने के बाद भी पंचायत प्रतिनिधियों को अधिकार नहीं मिले. इस कारण अपेक्षित विकास नहीं हो सका है. फिर भी जिला परिषद जिले के विकास को लेकर गंभीर है. तीन करोड़ रुपये से अधिक की योजनाएं प्रगति पर हैं. हालांकि लापरवाही के कारण बीआरजीएफ की योजना शुरू नहीं हो पायी है. उन्होंने कहा कि जिला परिषद गठन के बाद प्रशासन का सहयोग नहीं मिल रहा है. इसके कारण जनता का काम व क्षेत्र का विकास नहीं हो रहा है. उन्होंने कहा कि पलामू के विकास के लिए जिला परिषद सक्रिय है. किसानों को धान क्रय केंद्र के माध्यम से धान का क्रय कराया जा रहा है. जिला परिषद इसकी व्यवस्था को लेकर सक्रिय है. किसानों की समस्या को हर संभव दूर करने की कोशिश की गयी. महिलाओं को सशक्त बनाने का प्रयास भी जारी है.
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