हेमलता एस मोहन झारखंड महिला आयोग के अध्यक्ष के रूप में सात मार्च 2010 से कार्य कर रही हैं. अपने कार्यकाल में उन्होंने झारखंड की महिलाओं के लिए बहुत कुछ किया. आगे भी उनकी कई योजनाएं हैं. महिला के मसले को लेकर आयोग से जुड़े कई पहलुओं पर लता रानी ने उनसे बातचीत की.
झारखंड में बडी संख्या में महिला ट्रैफिकिंग के मामले आते हैं. इसके लिए आयोग के पास क्या योजना है?
आयोग मानव तस्करी को लेकर बहुत गंभीर है. इस समस्या का समाधान तो लोगों में जागरूकता लाकर ही किया जा सकता है. इसके लिए हमने रांची यूनिर्वसिटी में एंटी हूयमन टैफिकिंग पर एक वर्ष का सर्टिफिकेट कोर्स शुरू कराया है. यह 18 फरवरी से शुरू हो चुका है. ूमन ट्रैफिकिंग से जुड़े कोर्स आ गये है. इसे लेकर प्रयास चलता आ रहा है. आयोग की इस मसले पर रिजनल कांफ्रेंस आयोजित करने की योजना है.
पुनर्वास के नाम पर झारखंड में एक मात्र व्यवस्था देवघर में है. इस पर आपका क्या कहना है?
हाल में ही इस बात को लेकर सरकार से चर्चा की गई है. जल्द ही एक पॉलिसी आने वाली है जिसमें शेल्टर होम बनाने की बात सामने आई है. रांची में तो एक भी नहीं है. हमारा प्रयास है कि रांची में एक शेल्टर होम बने जिसके स्वागत के लिए हम बेताब है.
महिला थाने बने हैं उनकी व्यवस्था के बारे में
बताएं?
आयोग महिला थानों की मॉनिटरिंग कर रहा है. इसे और सशक्त बनाने का प्रयास किया जा रहा है. संवेदनशील बनाने की कोशिश की जा
रही है.
सरकारी दफ्तरों में काम करने वाली महिलाओं के लिए महिला आयोग क्या कर रहा है?
महिला आयोग उनके लिए भी काम कर रही है. हमारे यहां सरकारी दफ्तरों में काम करने वाली महिलाएं भी अपनी समस्या लेकर आती हैं और हम उनकी समस्याओं का समाधान निकालते हैं.
जिला परिषद एवं पंचायती चुनाव में जो महिलाएं चुन कर आयीं है इससे महिलाओं को कितनी मजबूती मिली है?
महिला सशक्तीकरण का अभी बहुत काम बाकी है. हां काम जरूर शुरू हुआ है. एक प्रक्रिया तो शुरू हुई है. पंचायती चुनाव में चुन कर आयी महिलाओं का भाग्य तो जगा है कि वो भी सरकार का हिस्सा है.
झारखंड बने 11 साल हो गये, महिला नीति नहीं बनी, क्या हुआ?
महिला नीति को लेकर चर्चा चल रही है. वह जल्द ही आने वाली है. माननीय मंत्री अपने स्तर से देख रही हैं. बहुत जल्द हमारे समक्ष महिला नीति आयेगी.
महिला आयोग के बजट, बिल्डिंग एवं असुविधाओं के बारे में क्या कहना है?
हमारे पास बजट तो कम है, इसके लिए समाज कल्याण विभाग से अपेक्षा है. अब तक तो प्रायोजक व दिये गये बजट में काम चलाया है आगे देखें मैनेंज कर पायेंगे या नहीं. जहां तक बिल्डिंग की बात है, आयोग के लिए एक अलग भवन की आवश्यकता है. बाकी जगहों की तरह हम भी बेहतर की उम्मीद करते हैं. रही बात सुविधाओं की बात तो समस्याएं तो होती है पर मुख्यमंत्री जी का सकारात्मक सहयोग रहता है. मैन पावर बहुत कम है इसके लिए मैंने आगे लिख कर दिया है. मैन पावर मिले तो और भी बेहतर होगा.
आपके कार्यकाल की उपलब्धियां क्या रही?
डायन बिसाही जैसी कुप्रथा को दूर करने के लिए राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया. घरेलू हिंसा एक्ट पर राज्य स्तरीय सेमिनार का आयोजन कर महिलाओं एवं सीडीपीओ को जागरूक किया गया.
यूपी के आजमगढ़ के मउनाथ भंजन गांव में हेमलता का जन्म हुआ. उन्होंने अपनी शिक्षा बनारस से पूरी की. बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से स्नातक व वकालत की डिग्री ली. काशी विश्वविद्यालय से उन्होंने पीएचडी किया. विवाह के बाद उनका झारखंड आना हुआ. पिछले 35 वर्षों से वह झारखंड में है. शुरू से ही शिक्षा के क्षेत्र से उनका जुड़ाव रहा है. 1987
में डीपीएस बोकारो की स्थापना हुई. यहां उन्होंने प्राचार्य के रूप मंे काम किया. अपने स्कूल से ही उन्होंने स्लम के बच्चे एवं वंचित वर्ग के बच्चों के लिए मिक्स मीडियम की शुरुआत की. वहां गरीब व वंचित वर्ग के बच्चे इंगलिश मीडियम के बच्चों के साथ शिक्षा ग्रहण कर सकते थे. वहीं उनकी माताओं के लिए भी वोकेशनल कोर्स की शुरुआत की जहां से महिलाएं कैंडल मेकिंग जैसी अन्य कलाओं का प्रशिक्षण लेकर स्वयं आय अर्जित करने के काबिल बनी. आज ये महिलाएं आंगनबाड़ी में काम कर रही हैं. श्रीमती हेमलता आज भी उस स्कूल में सलाहकार के तौर पर अपनी सेवा दे रही हैं. उन्हें खाली समय में किताबों के साथ वक्त बिताना अच्छा लगता है. हेमलता के पास हजारों की संख्या में किताबें हैं. शास्त्रीय संगीत में भी उनकी रुचि है. श्रीमती हेमलता का ससुराल राजस्थान में है, हेमलता का पूरे भारत वर्ष का भ्रमण कर चुकी है. इसलिए उन्हंे भारत की कई भाषाओं का ज्ञान है.
क्या है महिला आयोग
महिला आयोग महिलाओं के मामलों का निपटारा करने के लिए सरकार द्वारा गठित एक इकाई है. महिलाएं अपनी समस्याओं का समाधान यहां बेहिचक पा सकती है. आयोग हर महिला की मदद के लिए प्रयासरत है. यहां आने वाले मामलों का निपटारा पहले काउंसलिंग के जरिये किया जाता है. दोनों पक्षों को आयोग में बुलाकर काउंसलिंग की जाती है जिसमें एक दूसरे को समझाया जाता है एवं लिखित एग्रीमेंट लिया जाता है. यहां आने वाले मामले ज्यादातर घरेलू हिंसा के होते है. आयोग के अनुसार घरेलू हिंसा के ज्यादातर मामले कांउसलिंग से निष्पादन कर दिये जाते हैं. 90 प्रतिशत मामले कांउसलिंग से ही सुलझ जाते हैं. दोनों पक्षों को सलाह दी जाती है कि उचित फोरम में जायें.
क्या है प्रक्रिया
यदि किसी महिला को महिला आयोग की मदद चाहिए तो वो महिला आयोग में एक लिखित आवेदन के द्वारा अपनी बात रख सकती है. आवेदन अध्यक्ष देखती हैं. आवेदन पर अध्यक्ष के हस्ताक्षर के बाद उसमें केस नंबर चढ़ाया जाता है. संबधित पक्ष को आयोग द्वारा नोटिस भेजा जाता है. नोटिस में आयोग में हाजिर होने का दिन अंकित होता है. दोनों पक्ष को लिखित तय समय में हाजिर होकर आयोग के सदस्यों के सामने पेश होना पड़ता है. फिर काउंसलिंग होती है और उचित कार्यवाही की जाती है.
कर्मियों की स्थिति
अध्यक्ष : 1
सदस्य : 2
सेक्शन आफिसर : 1
पीए : 2
लीगल एडवाइजर : 1
सहायक : 1
अकांउटेड : 1
कंप्यूटर ऑपरेटर : 1
आदेश पाल : 3
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