पंचायती राज और अधिकार में अबतक आपने ग्रामसभा, पंचायत समिति, जिला परिषद की संरचना, उसकी बैठकें आदि के संबंध में पढ़ा. पिछले अंक में हमने आपको बताया कि कैसे पंचायत निकाय के जनप्रतिनिधियों के सक्रिय नहीं रहने पर कानून के अनुसार, अधिकारियों की सक्रियता बढ़ जायेगी. ऐसे में ग्राम स्वराज व अपने अधिकारों के संरक्षण के लिए जन प्रतिनिधियों के साथ गांव के हर आदमी को सक्रिय रहना होगा. अपने अधिकार पाने के लिए यह जरूरी है कि आप उसके बारे में जानें. इससे आप अधिकारियों के सामने भी अच्छे ढंग से अपनी बातें रख सकेंगे व अधिकार ले सकेंगे. इस अंक में हम आपको पंचायत निकाय में विभिन्न स्तरों पर गठित होने वाली समितियों के संबंध में बतायेंगे. पूर्व की तरह सवाल-जवाब की शैली में ही हमारा यह स्तंभ आपके लिए प्रस्तुत है :
ग्राम पंचायत की कितनी तरह की समितियां होती हैं, वह कैसे काम करती हैं?
ग्राम पंचायतों को सात तरह की समितियां गठित करने का अधिकार है. इन समितियों पर पंचायतों का नियंत्रण होगा और वे ऐसी शक्तियोंे का प्रयोग करेंगी, जो ग्राम पंचायत द्वारा उनको सौंपी जायेगी.
ये समितियां हैं : (1.) सामान्य प्रशासन समिति, (2.)
विकास समिति, (3.) महिला, शिशु एवं सामाजिक कल्याण समिति, (4.) स्वास्थ्य, शिक्षा एवं पर्यावरण समिति, (5.)
ग्राम रक्षा समिति, (6) सार्वजनिक संपदा समिति, (7.)
अधोसंरचना समिति. इनमें से प्रत्येक समिति के लिए पांच सदस्य ग्राम पंचायतों द्वारा बुलायी गयी विशेष बैठक में निर्वाचित किये जायेंगे. कोई भी सदस्य एक समय में दो से अधिक स्थायी समिति का सदस्य नहीं होगा. इन समितियों में मुखिया एवं उपमुखिया पदेन सदस्य होंगे.
क्या ग्राम पंचायत के निर्वाचित सदस्यों को ग्राम सभा में मत देने का अधिकार होगा? उनकी योग्यता कितनी होनी चाहिए? उनका कार्यकाल कितना होगा?
ग्रामसभा का कोई सदस्य अगर पंचायत की समितियों का सदस्य चुन लिया जाता है, तो उसका ग्रामसभा की बैठकों में मत देने का अधिकार खत्म हो जाता है. सदस्य की योग्यता का कोई विशेष प्रावधान नहीं है. पर, पंचायत को यह ध्यान रखना चाहिए कि वह संबंधित समितियों के लिए ऐसे सदस्य चुने, जो उस विभाग व उस क्षेत्र का जानकार हो व उस समिति के द्वारा किये जाने वाले कार्यों में अपना उल्लेखनीय योगदान कर सके.
स्थायी समिति के सदस्यों का कार्यकाल, कामकाज वही होगा, जो ग्रामसभा तय करेगी. हालांकि ग्रामसभा समिति के सदस्यों को एक वर्ष की अवधि की समाप्ति पर बहुमत के द्वारा वापस बुला सकेगी. साथ ही वह समिति के लिए सदस्यों का नये सिरे से मनोनयन भी कर सकेगी.
पंचायत समिति एवं जिला परिषद की कितनी स्थायी समितियां होंगी? इनका सदस्य कौन होगा?
पंचायत समिति एवं जिला परिषद आठ तरह की समितियों का गठन कर सकती है. पंचायत समिति व जिला परिषद स्तर की समितियां हैं : (1.) सामान्य प्रशासन समिति, (2.)
कृषि एवं उद्योग समिति, (3.)
स्वास्थ्य व शिक्षा समिति, (4.)
वित्त अंकेक्षण, योजना एवं विकास समिति (5.) सहकारिता समिति (6.) महिला, शिशु एवं सामाजिक कल्याण समिति (7.) वन एवं पर्यावरण समिति (8.) संचार व संकर्म समिति. इसमें सामान्य प्रशासन समिति को छोड़ कर प्रत्येक समिति में कम से कम छह सदस्य होते हैं. ये सदस्य पंचायत समिति व जिला परिषद द्वारा अपने बीच से ही तय किये जायेंगे. हां, शिक्षा समिति में एक महिला, शिशु एवं सामाजिक कल्याण समिति में कम से कम एक महिला व अनुसूचित जाति या जनजाति का एक व्यक्ति होगा.
विधानसभा का प्रत्येक ऐसा सदस्य जो पंचायत समिति का सदस्य है, वह पंचायत समिति की प्रत्येक समिति का पदेन सदस्य होगा. वहीं, संसद का ऐसा प्रत्येक सदस्य जो जिला परिषद का सदस्य है, वह जिला परिषद में अपनी इच्छा से किन्हीं दो समिति का सदस्य होगा. सामान्य प्रशासन समिति एवं शिक्षा समिति को छोड़ कर प्रत्येक समिति अपने निर्वाचित सदस्यों में से ही सभापति का चयन करेगी.
प्रमुख या जिला परिषद का अध्यक्ष सामान्य प्रशासन समिति तथा वित्त, अंकेक्षण व योजना एवं विकास समिति का पदेन सदस्य व अध्यक्ष होगा.
वहीं उपप्रमुख या जिप उपाध्यक्ष शिक्षा समिति एवं महिला, शिशु एवं सामाजिक कल्याण समिति का पदेन सदस्य एवं अध्यक्ष होगा. पंचायत समिति एवं जिला परिषद का कोई सदस्य दो से अधिक स्थायी समिति का सदस्य नहीं बन सकेगा. कार्यपालक पदाधिकारी पंचायत समिति स्तर पर व मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी जिला परिषद के स्तर पर सभी समितियों के पदेन सचिव होंगे. इन समितियों का कामकाज वही होगा, जो सक्षम पदाधिकारियों के द्वारा तय किया जायेगा. ऐसे विषय जो गठित की गयी समितियों के कार्य क्षेत्र में नहीं आते हों, उसके लिए संबंधित अधिकारी से अनुमति लेकर एक या एक से अधिक समितियों का गठन किया जा सकेगा.
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