रविवार, 30 जून 2013

बाल-चौपाल

स्कूटर की सवारी
संता बंता अपने दोस्त के साथ एक ही स्कूटर पर बैठकर जा रहे थे.
तभी रास्ते में एक ट्रैफिक पुलिसवाले ने संता-बंता के स्कूटर को रोक लिया.
इस पर संता ने कहा - सॉरी भाई जी, पहले से ही तीन लोग बैठे हैं, बिल्कुल भी जगह नहीं है. आप कोई दूसरा स्कूटर पकड़ें.
एक और एक का जोड़
रमेश : एक और एक को जोड़ने पर तीन होता है.
रितु : कैसे?
रमेश : सोचो.सोचो... .
रितु : तुम्हीं बता दो, मुझे समझ नहीं रहा.
रमेश : गलती से.
नींद नहीं आयी
संता : यार, ट्रेन में ऊपर की सीट मिली थी. पूरी रात नींद नहीं आयी.
बंता : तो किसी से सीट बदल लेता.
संता : किससे बदलता? नीचे की सीट पर कोई था ही नहीं.
तिलच˜ का डाइसेक्शन
डाइसेक्शन क्लास में संता तिलच˜ का डाइसेक्शन कर रहा था. उसने उस तिलच˜ का एक पैर काटा और कहा, चल. वह चलने लगा. फिर उसने दूसरा पैर काटा और कहा, चल. वह चलने लगा.ऐसे ही उसने उसके पांचों पैर काट दिए और कहा, चल. लाचार तिलच˜ फिर भी घसीटकर चलने लगा. इसके बाद उसने उसका आखिरी पैर यानी छठे पैर को भी काट दिया और कहा, चल. इस बार वह नहीं चल पाया.
जानते हैं संता ने कन्क्लूजन में क्या लिखा?
उसने लिखा : तिलच˜ के सारे पैर काट देने के बाद वह बहरा हो जाता है.

वफादार
एक छोटा सा था परिवार
खुशियों से महकता था उनका संसार
उनके पास था एक प्यारा कुत्ता
जो अब हो गया था बीमार

पिताजी बोले बच्चों से
अब ये हमारे किस काम का

छोड़ जाओ इसे सड़क किनारे
परंतु कुत्ता था वफादार
वह दरवाजे के पास पड़ा रहा
ठंडी हवा में ठिठुरता रहा

रात में आया चोरों का दस्ता
लेकिन दे पाया कुत्ते को धोखा
भौंक-भौंक कर घर सिर पर उठाया
बहादुर कुत्ते ने चोर को पकड़वाया

वफादार दोस्त होते हैं वरदान
मुश्किल में दे सकते हैं अपने प्राण

जयंती कुमारी ओझा
गवर्नमेंट मिडिल स्कूल, टाटीसिल्वे

संकट में जो धैर्य है रखता
संकट में जो धैर्य है रखता
वही सफलता पाता है जग में
निर्धनता में धैर्य जो रखता
वही धनी होता जीवन में

चाहे जितना कठिन समय हो
धैर्य ही मन को सुखी बनाता
धैर्य और इच्छा शक्ति से
मनुज हमेशा जय हो पाता

पहचान हमेशा धीरजता की
होती है आपत्तिकाल में
वीरों की पहचान हमेशा
होती निश्चय युद्धकाल में

धैर्यवान बनकर जीवन में
मर्यादा में काम करो
कठिन परिश्रम और दृढ़ता से
नित्य सफलता प्राप्त करो.

हेमा कुमारी
राजकीयकृत मध्य विद्यालय, टाटीसिलवे, रांच

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