शुक्रवार, 28 जून 2013

बंपर पैदावार ने बनाया हेंठकांची को मॉडल

लिफ्ट इरिगेशन की मदद से गांव के लोग दो के बदले तीन फसल उगा रहे हैं. श्रीविधि अपनाने से होने लगी है दुगुनी पैदावार. महिलाओं ने जहां स्वरोजगार को अपनाना शुरू कर दिया है. गांव में लगे सोलर चार्जिंग प्वाइंट से हरेक घर रोशन हो रहा है.
प्रशांत जयवर्धन
जधानी रांची से 45 किलोमीटर दूर बंुडू प्रखंड का हेंठकांची गांव आज आसपास के गांवों के लिए मिसाल है. आधुनिक तकनीक की मदद से खेती करके इस गांव के लोगों ने खाद्यान्न और फसल उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि की है. महिलाएं स्वरोजगार से जुड़ कर आत्मनिर्भर हो रही हैं. गांव में अब ढिबरी जलती है, लालटेन. सोलर रिचार्जिंग सेंटर है जहां दिन भर सभी घरों के सोलर लैंप चार्ज होते हैं और रात को गांव को रोशन करते हैं. थोड़े से प्रोत्साहन, थोड़ा प्रयास और थोड़ा गैर सरकारी संगठन केजीवीके का सहयोग. यह गांव आज सिर्फ खुशहाल है बल्कि दूसरों के लिए मिसाल बन गया है.
कैसे हुआ बदलाव
महज कुछ साल पहले तक आपराधिक घटनाओं के लिए कुख्यात कांची पंचायत के हेंठकांची गांव की सूरत बदलने के पीछे लिफ्ट इरिगेशन और श्रीविधि का बड़ा योगदान है. फिलहाल 75 एकड़ जमीन पर 80 से ज्यादा किसान लिफ्ट इरिगेशन के जरिये खेती कर रहे हैं. सिंचाई की सुविधा मिलने से गांव के किसान वर्ष में दो फसल के अलावा सब्जियों का भी उत्पादन कर रहे हैं. श्रीविधि से धान की खेती कर रहे किसान शिवनाथ अहीर ने अपनी जमीन (100 डिसमिल) पर दोगुना उत्पादन करने में सफलता हासिल की है. गांव के 50 किसानों ने 19.5 एकड़ जमीन पर श्रीविधि तकनीक अपनाकर धान की उपज से सात लाख रुपये की अतिरिक्त आय अर्जित की है. इसका अर्थ प्रति एकड़ जमीन पर 14 हजार रुपये अतिरिक्त आय है. पहले साधारण विधि से उसी जमीन पर महज 12 से 15 क्विंटल धान उपजाने वाले किसान आज श्रीविधि तकनीक से 25 से 30 क्विंटल धान उपजा रहे हैं. किसान मुरा मुंडा की 70 प्रतिशत जमीन पर एसडब्ल्यूआइ विधि से लगी गेहूं की फसल गांव में बदलाव और किसानों के वैज्ञानिक पद्धति से जुड़ाव को बयां करती है.

पशुओं के लिए चारा भी
लिफ्ट इरिगेशन से किसानों को फसलों के साथ पशुपालन और हरे चारे को लगाने में भी लाभ मिल रहा है. 15 किसानों ने 3.5 एकड़ जमीन पर मक्का और हरे चारे की पैदावार कर 25 हजार रुपये की आमदनी की है. इससे मवेशियों के लिए हरा चारा गांव में आसानी से उपलब्ध हो जाता है.
बदली तसवीर
किसान द्रोणाचार्य मुंडा बताते हैं कि पांच साल पहले आपराधिक घटनाओं के कारण हेंठकांची गांव में आने से लोग कतराते थे. केजीवीके के प्रयास से आज गांव की तसवीर बदल गयी है. किसान गोपाल मुंडा गांव में लिफ्ट के जरिये खेतों की सिंचाई से खुश नजर आते हैं. श्री मुंडा कहते हैं कि केजीवीके द्वारा लगाये गये तीन लिफ्टों की मदद से खेतों की सिंचाई के लिए भरपूर पानी मिलता है.
स्वरोजगार से जुड़ी हैं महिलाएंं
गांव की महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए काथा स्टीच और इम्ब्वॉयडरी का प्रशिक्षण देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है. नाबार्ड और झारक्राफ्ट के सहयोग से चल रहे इस प्रशिक्षण कार्यक्रम से 27 महिलाओं का समूह अपनी आजीविका में बढ़ोतरी कर रहा है.
घरों में लगे हैं पारदर्शी प्लेट
गांव के 20 घरों में पारदर्शी प्लेटों को मकान की छतों पर लगाया गया है. इसके जरिये रोशनी सीधे घरों में पहुंचती है. सूरज की रोशनी में मौजूद विटामिन डी का लाभ लेने के लिए पारदर्शी प्लेटों को लगाना एक अनूठा प्रयोग है. रोशनी के साथ इससे स्वास्थ्य को लाभ पहुंचता है



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