
रुकुल एक सुंदर और अनोखा स्कूल है. विद्यालय के कमरे बेहतरीन व हवादार हैं, जिनमें शीशे लगे होते हैं. कक्षाओं के नाम विभिन्न फलों के नाम पर हैं. जैसे- इमली, जामुन, लीची आदि. गुरुकुल विद्यालय लो कॉस्ट, हाई क्वालिटी थीम के साथ ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों के सपनों को पूरा करने का प्रयास कर रहा है. शिक्षकों के पढ़ाने तरीका लर्निंग विद फन है. वर्तमान में कृषि ग्राम विकास केंद्र द्वारा झारखंड के तीन जगहों पर गुरुकुल विद्यालय का संचालन किया जा रहा है. इन विद्यालयों में करीब तीन सौ से ज्यादा विद्यार्थी पढ़ाई कर रहे हैं. गुरुकुल रुक्का में 174 ग्रामीण बच्चों को नौ शिक्षक-शिक्षिकाओं, पलामू स्थित गुरुकुल विद्यालय के 96 बच्चों और टाटी सिल्वे स्थित गुरुकुल विद्यालय में 93 बच्चों को 10 शिक्षकांे के सहयोग से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जा रही है.
अंग्रेजी व संगीत पर जोर
विद्यालय के बच्चों को अंग्रेजी सिखाने पर विशेष ध्यान दिया जाता है, ताकि उनकी ग्रामीण पृष्टभूमि के कारण अब तक जो रुकावटें थीं, उनमें बदलाव आये. बच्चों को ऑडियो-वीडियो माध्यम से अंग्रेजी की शिक्षा दी जाती है. खेल-खेल में बच्चों को संगीत का ज्ञान और इससे जुड़े क्षेत्रों के बारे में जानकारी दी जाती है.
किचन गार्डनिंग कॉन्सेप्ट
कृषि ग्राम विकास केंद्र ने बच्चों को दायित्व भाव और सामाजिक दायित्वों से अवगत कराने के लिए स्कूलों में किचन गार्डन लगाने का विचार अपनाया है. बच्चे विद्यालय के किसी बेकार पड़े भू-भाग पर एक छोटी सी बगिया बनाते हैं, जिसमें फलदार वृक्ष और सब्जियां उगाकर उनका इस्तेमाल करते हैं. पानी के महत्व को दर्शाता यह अभियान उन्हें यह भी बताता है कि किचन गार्डन से आप जल की बरबादी को रोक सकते हैं.
बाल पत्रकारिता
गुरुकुल विद्यालय के बच्चों को बाल पत्रकारिता अभियान से जोड़कर उनमें लेखन कौशल और कल्पनाशक्ति का विकास किया जाता है. इस अभियान के तहत बच्चों को कविता, कहानी, चित्रांकन, सम सामयिक मुद्दों, पर्यावरण, जल संरक्षण जैसे विषयों के प्रति जागरूक किया जाता है. बच्चे स्वत: संज्ञान लेकर कुछ ठोस कदम उठायें, इसके लिए भी उन्हें प्रेरित किया जा रहा है
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