गुरुवार, 27 जून 2013

कोल्हान में बढ़ती आबादी, घटते खेत

तेजी से बढती जनसख्या के साथ ही लोगो को रहने के लिए छत की भी जरूरत बढ़ने लगी है. आबादी भले ही बढ़ रही हो, जमीन तो सीमित है. जो जमीन है उसी पर लोगो को रहना है. जगल लगाना है. खेती करनी है. विकास के अन्य साधनो का विकास भी इसी उपलब्ध सीमित जमीन पर करना है. लिहाजा बढ़ती आबादी के  साथ लोगो को जमीन की जरूरते भी बढ़ने लगी है. आबादी बढने के साथ ही लोगो के लिए अनाज की भी जरुरत है. लेकिन छत ढकने की चिता अधिक रहने के कारण अनाज की व्यवस्था मे लगी जमीन का आवासीयकरण होता जा रहा है. आबादी के साथ ही परिवार बढ़ रहे है. बड़े परिवारो का बटवारा हो रहा है. हर परिवार को रहने के लिए मकान चाहिए. भूखडो का भी बटवारा होता जा रहा है. इसका कुप्रभाव कृषि योग्य जमीन पर पड़ रहा है. गाव से लेकर शहरो तक खेती की जमीन पर अपार्टमेट, छोटे-बड़े मकान बन रहे है. लिहाजा कृषि योग्य जमीन की मात्रा मे निरतर गिरावट रही हैइसका असर फसल उत्पादन पर भी पड़ रहा है. गावो के लोगो का रुझान शहर की ओर बढ़ने के कारण शहरी क्षेत्र के आसपास की खेतीहर जमीन खत्म होती जा रही है. इसका मुख्य कारण लोगो के जीवन स्तर मे आया बदलाव है. अच्छे- अच्छे स्कूल कॉलेज शहरो मे ही है. लिहाजा लोग गाव से शहर की ओर कूच करने लगे है, जिसका खामियाजा कृषि योग्य जमीन को ही भुगतना पड़ रहा है. जहा खेत नजर आते थे, आज वह कॉलोनियो का स्थान ले चुका है. आबादी बढ़ने परिवारो का विघटन के कारण गावो के खेतो पर भी प्रतिकूल असर पड़ा है. गाव की खेतो मे भी मकान बनते जा रहे है.
आबादी बढ़ने के साथ गाव  शहर के बढ़ते दायरे के चलते पिमी सिंहभूम जिले में खेती योग्य भूमि सिमटती जा रही है. जिले मे कुल उपलब्ध जमीन  258844 हेक्टेयर है. इसमे से कृषि योग्य भूमि 220725 हेक्टेयर है. लेकिन वास्तविक रूप मे अब खेती लायक जमीन इतनी नही रह गयी है. वर्ष 2009-10 में जहां इस जिले में 1, 69,678 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि बची थी, वही 2011-12 में यह जमीन घटकर 1,46,124 हेक्टेयर रह गयी. सर्वे नही होने के कारण आज भी जिले की कृषि योग्य जमीन 220725 हेक्टेयर ही आकड़ो मे दर्शायी जाती है. 216 पंचायत 1692 गांव के अलावा चाईबासा, चक्रधरपुर शहरी क्षेत्र की कुल आबादी 2011 के अनुसार करीब 15 लाख है.  2001 में यह आबादी 12.34 लाख थी. दस वर्षो मे ढाई लाख से अधिक लोग केवल एक जिले मे बढ़े. जाहिर है इसके रहने के लिए मकान की चिता सबसे बड़ी है.
नतीजतन शहर से सटे कृषि योग्य भूमि की मांग बढ़ी और तेजी से मकान बिल्डिंग बनते चले गये. गांवों में रहनेवाले नौकरीशुदा लोग बड़ी संख्या में शहरों में आकर बसने लगे हैं. शहर में बसने की प्रवृत्ति हाल के दिनों में काफी बढ़ी है. नतीजतन मकान के लिए कृषि योग्य भूमि की मांग बढ़ती जा रही है. आज स्थिति यह है कि जिला मुख्यालय चाईबासा से सटे क्षेत्रों में खरीद-बिक्री के लिए सिर्फ कृषि योग्य भूमि ही बची है.
         (चाईबासा से प्रमोद कुमार की रिपोर्ट)

जुड़ी पंचायत में स्थायी
समिति का गठन
पोटका प्रखंड (पूर्वी सिंहभूम) के जुड़ी पंचायत भवन में मुखिया, उपमुखिया एवं वार्ड सदस्यों की बीच एक बैठक का आयोजन मुखिया उपेंद्र नाथ सरदार की अध्यक्षता में हुई. इस बैठक में पंचायत राज नियमावली के तहत पंचायत में स्थायी समिति का गठन किया गया.
सामान्य प्रशासन समिति
अध्यक्ष- उपेंद्र नाथ सरदार
सदस्य- सुब्रोत दे, सर्वेश्वर सरदार, कविता गोप एवं रोखाहरी मुंडा (पंचायत सेवक)
विकास समिति
अध्यक्ष- बिंदे सरदार
सदस्य- उपेंद्र नाथ सरदार, सुब्रोत कुमार दे, भारती सरदार, मोनिका सरदार एवं  राखोहरी मुंडा
महिला शिशु एवं समाजिक कल्याण समिति
अध्यक्ष-उमा दे
सदस्य- उपेंद्र नाथ सरदार, सुब्रोत कुमार दे, सुभला सरदार, दीपक कुमार पाल एवं राखोहरी मुंडा
ग्राम रक्षा समिति
अध्यक्ष- भारती सरदार
सदस्य- उपेंद्र नाथ सरदार, सुब्रोत कुमार दे, सर्वेश्वर सरदार, कविता गोप एवं राखोहरी मुंडा
सार्वजनिक संपदा एवं समिति
अध्यक्ष- कविता गोप
सदस्य- उपेंद्र नाथ सरदार, सुब्रोत कुमार दे, उमा दे, मोनिका सरदार एवं राखोहरी मुंडा
आधारभूत संरचना
अध्यक्ष- दीपक कुमार पाल
सदस्य- उपेंद्र नाथ सरदार, सुब्रोत कुमार दे, बिंदे सरदार, भारती सरदार एवं राखोहरी मुंडा
स्वास्थ्य शिक्षा एवं पर्यावरण समिति
अध्यक्ष- सुब्रोत कुमार दे

सदस्य- उपेंद्र नाथ सरदार, सर्वेश्वर सरदार, सुभला सरदार, जगदीश गोप एवं राखोहरी मुंडा

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