इस साल राज्य में हुई बंपर पैदावार के पीछे कृषि सचिव अच्छी बारिश के साथ-साथ ससमय किसानों तक बीज उपलब्ध कराने की भी महत्वपूर्ण भूमिका बता
रहे हैं.
पहली बार राज्य की सरकार धान खरीद रही है, अनाज से लैंपस के गोदाम भरे हैं.
वेजफेड सहकारिता विभाग के अंतर्गत आता है. कृषि विभाग के साथ तारतम्य बैठा कर ही वेजफेड की बेहतरी का रास्ता निकाला जा सकता है. इसके लिए प्रयास चल रहे हैं. आने वाले दिनों में कृषि और सहकारिता विभाग मिल कर वेजफेड की आधारभूत संरचना को बेहतर करने का ब्लूप्रिंट तैयार करेंगे.
राज्य के किसानों की सफलता के मौके पर हमारे वरीय संवाददाता विवेक चंद्र ने कृषि सचिव अरुण कुमार सिंह से बातचीत की. प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंश :
राज्य को खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर बनाने का श्रेय किसको जाता है?
निश्चित रूप से किसानों को. यह उनकी मेहनत का ही फल है. मुख्यमंत्री के दिशा-निर्देश पर चलते हुए पदाधिकारियों ने समय से किसानों को समय पर बीज और खाद उपलब्ध कराया. श्रीविधि (एसआरआइ) का उपयोग भी बताया गया. बीज कंपनियों ने भी अपनी भूमिका निभायी. किसानों के बीच 25 हजार क्विंटल बीज का वितरण समय से किया गया. कृषि को बेहतर बनाने के लिए पूरी टीम ने मिल कर काम किया. टीम भावना से काम करने का नतीजा सबके सामने है. झारखंड गठन के बाद से ही प्रयास चल रहा था कि हम खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर हो जायें. कुछ हद तक पूर्व में सरकारी प्रयास नाकाफी थे, तो प्रकृति भी हमारा साथ नहीं दे रही थी. जब प्रकृति ने हमारा साथ दिया तो हमने बेहतर नतीजा हासिल कर दिखाया. खेती को मजबूरी का काम मानने वाले किसान आज गदगद हैं. उनके पास खाने का अनाज हो गया है. जीविका चलाने के लिए कुछ नकदी भी वे अनाज बेचकर हासिल कर लेंगे.
जब आबादी 2.86 करोड़ थी, तो भी आत्मनिर्भर होने के लिए 50 लाख टन खाद्यान्न की जरूरत होती थी, आज भी जरूरत उतनी ही है. ऐसा कैसे?
जब आबादी कम थी, तब पीडीएस (जन वितरण प्रणाली) ज्यादा मजबूत नहीं था. आज पीडीएस मजबूत है. लोगों को राज्य सरकार एक रुपये किलो में चावल मुहैया करा रही है. केंद्र सरकार भी मदद करती है. खाद्यान्न में आत्मनिर्भर होना बड़ी बात नहीं है. ज्यादा महत्वपूर्ण लोगों की जरूरतें पूरी करना है. राज्य में इससे पूर्व सबसे अधिक धान का उत्पादन
2008-09 में करीब 34 लाख टन हुआ था. पिछले साल सूखा पड़ जाने के कारण करीब 14 लाख टन ही धान का उत्पादन हो पाया था. इस साल किसानों ने जितने खाद्यान्न का उत्पादन किया है, वह पूरे राज्य की जरूरत पूरी कर सकता है. हमें बाहर से खाद्यान्न लेने की जरूरत नहीं है.
किसानों की बेहतरी के लिए सरकार क्या प्रयास कर रही है?
किसानों को खेती के लिए आवश्यक आधुनिक संसाधन सरकार द्वारा मुहैया कराया जा रहा है. समय से खाद-बीज उपलब्ध कराया जा रहा है. उनको श्रीविधि से खेती करने का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है. उत्पाद को बढि़या बाजार मुहैया
कराया जा रहा है. पहली बार धान की अच्छी उपज को देखते हुए सरकार ने इसका सरकारी मूल्य तय कर दिया है. 1080
रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से धान खरीदी जा रही है. लैंपस-पैक्स जो आम दिनों में खाली पड़ा रहता था, वहां आज अनाज के बोरे भरे पड़े हैं. अब उनके पास रखने को जगह नहीं है. मजबूरन कई जग लैंपस ने किसानों ने कह दिया है कि जब तक गोदाम से धान कुटाई को नहीं चला जाता, नयी धान की खरीद संभव नहीं हैं.
कृषि विज्ञान केंद्रों के विकास के लिए सरकार क्या कर रही है?
कृषि विज्ञान केंद्र इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च (आइसीएआर)के अंतर्गत आता है. इसमें राज्य सरकार की कोई भूमिका नहीं है. फिलहाल, राज्य के 22 जिलों में कृषि विज्ञान केंद्र काम कर रहा है. मैं मानता हूं कि वहां की स्थिति अच्छी नहीं है. कृषि वैज्ञानिकों ने कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके)को मस्ती करने की जगह बना रखी है. वहां की स्थिति सुधारने के लिए आइसीआर के साथ पत्राचार किया गया है. मैंने केंद्र सरकार के अधिकारियों से मिल कर अपनी बातें रखी हैं. रामकृष्ण मिशन और विकास भारती का उदाहरण देते हुए केंद्र सरकार से कहा गया है कि कृषि विकास केंद्रों की बेहतरी के लिए उनको चलाने में एनजीओ की मदद भी ली जा सकती है. उम्मीद करें कि आगामी वित्तीय वर्ष से केंद्र सरकार कृषि विज्ञान केंद्रों में रुचि लेते हुए उनकी स्थिति सुधारने का प्रयास करेगी.
राज्य में सब्जियों की पैदावार अच्छी होती है. लेकिन किसानों को बाजार नहीं मिल पाता. वेजफेड की आधारभूत संरचना भी दुरुस्त नहीं है. स्थिति सुधारने के लिए क्या हो रहा है?
वेजफेड सहकारिता विभाग के अंतर्गत आता है. कृषि विभाग के साथ तारतम्य बैठा कर ही वेजफेड की बेहतरी का रास्ता निकाला जा सकता है. इसके लिए प्रयास चल रहे हैं. आने वाले दिनों में कृषि और सहकारिता विभाग मिल कर वेजफेड की आधारभूत संरचना को बेहतर करने का ब्लूप्रिंट तैयार करेंगे. किसानों को बेहतर बाजार उपलब्ध कराने के लिए कृषि बाजार समितियों को मजबूत करने का काम किया जा रहा है. लैंपस और पैक्स के माध्यम से भी सब्जियों के लिए बाजार बनाने पर विचार किया जा रहा है. आगामी वित्तीय वर्ष सब्जी उत्पादन करने वाले किसानों के लिए अच्छी खबर लेकर आयेगा.
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