बुधवार, 26 जून 2013

डकैतों के छक्के छुड़ाने वाली प्रसन्नता

यह कहानी गोड्डा निवासी 11 साल की बच्ची प्रसन्नता की है, जिसने अपनी सूझ-बूझ से सिर्फ डकैतों को घर से भगाने में सफलता हासिल की, बल्कि डकैतों के वार से जख्मी अपने माता-पिता को समय पर अस्पताल पहुंचाने का भी इंतजाम कराया. प्रसन्नता की वीरता से प्रभावित होकर इस साल गणतंत्र दिवस के मौके पर उसे सम्मानित भी किया गया. प्रसन्नता की वीरता झारखंड की स्त्री शक्ति का सटीक उदाहरण है.

फिलहाल प्रसन्नता शांडिल्य अपने माता-पिता के साथ जयपुर के सेक्टर 5, हाउसिंग बोर्ड में रह रही है. जब यह घटना घटी उस वक्त प्रसन्नता अपने माता-पिता के साथ गोड्डा में रह रही थी. वहां उसके पिता एक लिमिटेड कंपनी में कार्यरत थे. प्रसन्नता कहती हैं टीवी पर सीआईडी सीरियल देखने से उसे डकैतों से मुकाबला करने की प्रेरणा मिली. इस साहसिक  कार्य के  लिए उन्हें गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने वर्ष 2011 के राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया.




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