किसान बालक महतो ने खेत को ही अपना कॉलेज व विश्वविद्यालय बना लिया और बन गये कृषि वैज्ञानिक. अपनी जमीन खो चुके बालक महतो ने नयी शुरुआत की और खेती में ऐसे मिसाल बने कि पढ़े-लिखे लोग भी उनसे खेती सीखते हैं. मैट्रिक तक की भी पढ़ाई पूरी नहीं कर सकने वाला रांची के ओरमांझी प्रखंड का यह किसान आज एक कृषि वैज्ञानिक के रूप में बीएयू जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में किसानों व छात्रों को प्रशिक्षण दे रहा है. उनके योगदान व प्रयोग पर ओरमांझी से रोहित लाल की रिपोर्ट :
ची जिले के ओरमांझी प्रखंड के ग्राम कुच्चू के प्रगतिशील किसान बालक महतो ने अपनी मेहनत से अपनी तकदीर लिखी है. खेती कैसे रोजगार का फायदेमंद साधन हो सकती है, यह उनसे सीखा जा सकता है. खेती की बदौलत ही आज उनके बच्चे बेहतर संस्थानों में शिक्षा पा रहे हैं. ऐसा भी नहीं है कि बालक महतो के जीवन में सबकुछ सामान्य रहा. सुगनु गांव में उनके पिता पुरन महतो की 22 एकड़ जमीन थी, जिसे आर्मी के लिए 1974 में सरकार ने अधिग्रहित कर लिया था. उस समय बालक महतो व उनका परिवार परेशानियांे से घिर गया.
ऐसे में मैट्रिक पूरा करने से पहले ही इन्हें पढ़ाई छोड़नी पड़ी व घर के कामकाज में लगना पड़ा. बाद में उन्होंने कुच्चू (महुवाटोली) में तीन एकड़ 86 डिसमिल जमीन खरीदी. उसमें बालक महतो ने गोडा धान, उड़द व मड़ुवा की खेती शुरू की. शुरुआती दिनों में दो गाय रखने वाले बालक महतो के पास आज 20 गाय हैं, जिनसे प्रतिदिन 200 लीटर दूध होता है. आज उनके पास 16 एकड़ जमीन है, जिसमें वे धान, सब्जी की वैज्ञानिक विधि से बेहतर खेती कर रहे हैं. ड्रिप इरिगेशन से खेती करने वाले संभवत: वे राज्य के पहले किसान हैं.
बालक महतो ने अपनी मेहनत से अपने लिए संसाधन तैयार किये. आज उनके पास 16 एकड़ कृषि भूमि, कुी काटने की मशीन, लेबलर, पॉवर टिलर, धान काटने की मशीन (पॉवर रिपर), स्प्रे मशीन, डेयरी फॉर्म, मुर्गी फॉर्म व मछली पालन की बेहतर सुविधाएं हैं.
बीएयू में देते हैं प्रशिक्षण
भले ही बालक महतो ने स्कूली शिक्षा मैट्रिक पास करने से पहले ही छोड़ दी, लेकिन अपने अनुभव व प्रयोग की बदौलत वे एक कृषि वैज्ञानिक के रूप में काम करते हैं.
रांची के बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित होने वाले प्रशिक्षण कार्यक्रमों में उन्हें विशेष तौर पर आमंत्रित किया जाता है. वे किसानों को बेहतर कृषि के लिए प्रशिक्षण देते हैं. विश्वविद्यालय के छात्र भी उनके अनुभव व प्रयोग से सीखते हैं.
बीज तैयार कर
करते हैं आपूर्ति
टमाटर स्वर्ण लालिमा, अर्का आभा, बैगन स्वर्ण श्यामली, स्वर्ण प्रतिभा, फ्रेंचबीन, सोयाबीन, मटर के बीज का उत्पादन कर आइसीएआर के रांची सेंटर (पलांडू) को आपूर्ति कर रहे हैं.