शुक्रवार, 5 जुलाई 2013

सुदेश के गांव की बात ही निराली

जहां राज्य के दूसरे राजनेता शहरों में बस गये हैं और अपने पैतृक गांव पर कम ही ध्यान देते हैं, उप मुख्यमंत्री सुदेश महतो आज भी अपने गांव से जुड़े हैं. वे हर हफ्ते कम से कम दो बार अपने गांव जाते हैं. इसका असर भी नजर आता है. चिकनी सड़कें, 80 फीसदी पक्के मकान, पेयजल की समुचित व्यवस्था और साफ-सफाई. जिसे देखकर आंखें निहाल हो जाती हैं. इस बार सुदेश के गांव लगाम की कहानी बता रहे हैं सुरंेद्र मोहन और वहां की तसवीरें राजीव ने खीची हैं:

झारखंड के उप मुख्यमंत्री सह जल संसाधन मंत्री सुदेश महतो का गांव लगाम एक सुविधा संपन्न गांव है. सिल्ली मुख्य पथ से करीब दो किलोमीटर अंदर जाने के लिए पीसीसी पथ है. गांव की शुरुआत पक्के मकानों से होती है. गांव की सड़कें भी पक्की हैं. लगाम गांव में हर बुनियादी सुविधा उपलब्ध है. 80 प्रतिशत मकान पक्के हैं.
लगाम गांव रांची जिला के सिल्ली प्रखंड स्थित कोंचो पंचायत अंतर्गत आता है. गांव में एक प्राथमिक सरकारी विद्यालय एलपी स्कूल है. दो आंगनबाड़ी केंद्र हैं. आंगनबाड़ी केंद्र की स्थिति भी ठीक है. करीब 500 घरों वाले लगाम की आबादी 2500 है. गांव की सड़कें पक्की हैं. मुख्य पथ तक जाने के लिए पहुंच पथ भी पीसीसी पथ है. गांव में बिजली वर्ष 1974 से है. जल संसाधन विभाग की ओर से जलापूर्ति के लिए गांव तक पाइप लाइन बिछायी जा चुकी है. गांव में 18 से 19 की संख्या में महिला एसएचजी (स्वयं सहायता समूह) काम कर रहे हैं. पुरुष व महिला साक्षरता दर क्रमश 80 व 70 प्रतिशत है.
विकसित गांव का आधार अल्यूमीनियम कंपनी
गांव के सुविधा संपन्न होने का एक प्रमुख कारण गांव से सटे हिंडालको अल्यूमीनियम कंपनी लिमिटेड है. वर्ष 1973 में कंपनी ने ग्रामीणों से उनकी जमीन ली थी और बदले में मुआवजा राशि का भुगतान भी किया था. गांव के 126 लोगों को अल्यूमीनियम कंपनी में रोजगार दिया गया था. इसी कंपनी में उपमुख्यमंत्री सुदेश महतो के पिता भी काम करते थे और वर्ष 2008 में सेवानिवृत्त हुए. सेवानिवृत्ति के बाद अभी भी अनुबंध पर कार्य कर रहे हैं. इसके अलावा गांव के लोग अन्य सरकारी नौकरियों जैसे रेलवे, शिक्षक, पुलिस और सेना में काम कर रहे हैं.
बन रही है पानी की टंकी
उपमुख्यमंत्री सह जल संसाधन मंत्री सुदेश महतो के प्रयास से गांव में पेयजल के लिए एक पानी की टंकी बनायी जा रही है. इसके अलावा मंत्री जी के प्रयास से ही गांव की पक्की सड़क व गांव से मुख्यपथ तक पहुंचने के लिए पक्का पहुंच पथ बना. मंत्री ने गांव के तालाब का सुंदरीकरण व गहरीकरण भी कराया है. गांव के लोगों के लिए वे हमेशा उपलब्ध रहते हैं और समस्या लेकर पहुंचने वाले लोगों की समस्या भी सुनते हैं.
गांव में ही रहते हैं माता पिता
उपमुख्यमंत्री सुदेश महतो के परिवार में पिता श्याम सुंदर महतो, माता देवकी देवी गांव में ही रहते हैं. मंत्री सुदेश महतो रांची स्थित सरकारी आवास में रहते हैं. पत्नी नेहा ने मुंबई से वकालत की पढ़ाई की है और फिलहाल घर पर अपने बेटों की देखभाल में व्यस्त रहती हैं. छोटे भाई मुकेश कुमार महतो का वर्ष 2008 में झारखंड पुलिस में डीएसपी के पद पर चयन हुआ था. बाद में नियुक्ति को लेकर हुए विवाद में मामला अभी न्यायालय में चल रहा है. दो बहनें गीता महतो व माया महतो की शादी हो
चुकी है.

पिता इंजीनियर बनाना चाहते थे
पिता श्याम सुंदर महतो बताते हैं कि वे बेटे सुदेश महतो को इंजीनियर बनाना चाहते थे. वर्ष 1997 में उन्होंने सुदेश महतो का दाखिला औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान, हेहल में कराया था. रांची में ही रहकर वे छात्र राजनीति में सक्रिय हुए. शुरुआत में तो उन्होंने राजनीति करने से मना किया था, लेकिन बाद में सुदेश की जनसेवा की भावना और लोगों के बीच अच्छी पकड़ को देखते हुए उन्होंने प्रोत्साहन दिया. वर्ष 2000 में सिल्ली विधानसभा सीट से सुदेश महतो पहली बार चुनाव लड़े. अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के केशव महतो कमलेश को करीब 15000 मतों से पराजित किया. इसके बाद सिल्ली विधानसभा में विकास के कई कार्य किये. वर्ष 2000 से अब तक हुए सभी विधानसभा चुनाव में लगातार जीत हासिल की है. कहते हैं बेटे की उपलब्धियों को देख काफी खुशी होती है.
(उपमुख्यमंत्री सुदेश महतो के पिता श्याम सुंदर महतो ने जैसा कि बातचीत में बताया)
वैसे गांव में बिजली, पानी, सड़क आदि बुनियादी सुविधाएं हैं.  मुखिया होने के नाते स्वास्थ्य और आंगनबाड़ी केंद्र के तहत किये जानेवाले कार्य को लेकर हम गंभीर हैं गांव में एक स्वास्थ्य केंद्र की जरूरत है, क्योंकि गांव की हर महिला के लिए यह संभव नहीं है कि वह अपनी स्वास्थ्य समस्याओं को लेकर सिल्ली जाये. गांव के करीब 60 से 70 लोगों का मनरेगा जॉब कार्ड बन चुका है.  बीपीएल कार्ड को लेकर गांव में अभी जागरुकता की कमी है, क्योंकि संपन्न लोग भी बीपीएल कार्ड बनाने की जिद करते हैं.
सरस्वती देवी, मुखिया, लगाम गांव
गांव में सभी बुनियादी सुविधााएं हैं. गांव के विकास से संबंधित कार्य के लिए हम मंत्री जी से बात करते हैं. मंत्री जी गांव के लिए पूरा समय देते हैं और गांववालों से जुड़े रहते हैं. गांववालों की मदद के लिए हमेशा खड़े रहते हैं. यहां तक कि गांव के किसी गरीब परिवार में शादी ब्याह के अवसर पर भी अपनी ओर से सहायता राशि भी देकर सहयोग करते हैं.
बादल सिंह मुंडा, ग्राम प्रधान, लगाम
गांव में किसी भी चीज की तकलीफ नही हैं. बिजली, पानी, सड़क सबकुछ है. गांव में करीब 15 से 20 चापानल हैं. 50 प्रतिशत घर में कुआं है. सुदेश बाबू के मंत्री बनने से हमलोगों को फायदा हुआ है. गांव घर का भी नाम होता है. स्वास्थ्य केंद्र होना चाहिए.
पवन महतो, ग्रामीण, लगाम
गांव में सब सुविधा है. पुस्तकालय तो नहीं है. एक प्राथमिक विद्यालय है. गांव के बच्चे भी नजदीक में पढ़ने के लिए जाते हैं. अधिकतर बच्चे प्राइवेट स्कूल में ही पढ़ते हैं. बिजली, सड़क, पानी सबकुछ है. कोई कमी नहीं है.
शोभा कुमारी, छात्रा, लगाम

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