बुधवार, 3 जुलाई 2013

आमुख कथा

1-- 1901-03 में गठित सिंचाई आयोग की रिपोर्ट में कहा गया था कि छोटानागपुर व संताल परगना क्षेत्र में सिंचाई के लिए आहर व बांध की बेहतर व्यवस्था थी. सिंचाई के 85 प्रतिशत काम इन्हीं आहरों व बांधों से हुआ करता था. पानी धीरे-धीरे रिसता था और जब आहर का पानी पूरा सूख जाता था, तब किसान उसमें गेहूं व चने की फसल बोते थे. इससे रबी की अच्छी फसल हो जाती थी.

2-- राज्य के प्रमुख शहर जमशेदपुर, बोकारो व धनबाद में एक साल में जलस्तर दो फीट नीचे चला गया, जबकि रांची का तीन फीट. गोड्डा जैसा छोटा शहर भी गर्मियों में गंभीर जल संकट झेलता है. वहां तीन साल में भूजल का दोहन तीन गुणा बढ़ गया.

3-- रांची जिले के अनगड़ा प्रखंड की टांटी पंचायत के सिंगारी गांव की पूरी जीवन व्यवस्था तालाब पर निर्भर है. लगभग दो हजार की आबादी वाले इस गांव में 18 तालाब हैं. इन तालाबों के कारण गांव का जलस्तर बना रहता है और किसान अच्छी उपज हासिल करते हैं. इसी तरह रांची के ही बेड़ो प्रखंड  की खुखरा पंचायत के 16 तालाब व पिठोरिया के पांच तालाब वहां की जीवन व्यवस्था के आधार हैं. गिरिडीह के बुधियाडीह व उसके आसपास के चार गांव के लोग पानी की बेहतर व्यवस्था के लिए तालाब की मरम्मत करने के अभियान शुरू कर चुके हैं.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें